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रांची। झारखंड के गढ़वा जिले के भवनाथपुर से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, यहां एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने समय पर कर्ज न चुका पाने पर एक महिला के 12 वर्षीय बेटे अनिश कुमार को बंधक बना लिया। बताया जा रहा है कि बैंक मैनेजर ने उससे जूठे बर्तन धुलवाए।
बैंक में झाड़ू लगवाए और शराब के बोतलें भी फेंकवाई। बैंक कर्मचारियों ने बच्चे को दो हफ्ते तक बंधक बनाए रखा। साथ ही बच्चे की मां को धमकी भी दी कि अगर किसी से शिकायत की उसकी आंखें और किडनी निकाल के बेच देंगे। इसकी शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने उसे 14 दिनों बाद शुक्रवार शाम को मुक्त कराया।
महिला की शिकायत पर एसडीपीओ सतेंद्र सिंह और स्थानीय लोग बैंक पहुंचे और बच्चे को वहा से छुड़ाया गया। मामले में नाबालिग बच्चे की मां ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने ब्रांच मैनेजर निगम यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि बैंक कर्मचारी उमाशंकर तिवारी के खिलाफ छापेमारी की जा रही है।
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जानिए क्या है पूरा मामला:-
गढ़वा के भवनाथपुर थाना क्षेत्र की आशा देवी ने दो साल पहले महिला समूह के माध्यम से माइक्रो फाइनेंस कंपनी से 40 हजार रुपये कर्ज लिया था। इसमें से उन्होंने 22 हजार रुपये जमा कर दिये थे और शेष 18 हजार रुपये बकाया रह गये थे। बकाया रकम को चुकाने के लिए फाइनेंस कंपनी का मैनेजर निगम यादव लगातार उन पर दबाव बना रहा था, लेकिन पैसों का जुगाड़ नहीं होने की वजह से महिला कर्ज नहीं चुका पा रही थीं।
नाबालिग बच्चे अनीश ने बताया कि दो हफ्ते पहले वह और उसकी बड़ी बहन घर में अकेले थे। उस दौरान बैंक के अफसर उसकी मां को खोजने आये। मां को खोजने के बहाने उन लोगों ने उसे गाड़ी पर बैठाया और नगर उंटारी हेन्हों मोड़ के पास स्थित ब्रांच में ले गये, जहां उसे बंधक बना लिया गया।
पीड़ित बच्चा भवनाथपुर थाना क्षेत्र के रोहिणीया गांव निवासी संतोष राम का पुत्र है। स्थानीय लोगों के मदद के बाद महिला ने किसी तरह 3 हजार रुपए देकर बच्चे को छुड़ाया।
इस दौरान उसकी मां ने बैंक पहुंचकर बैंक कर्मियों से अपने बच्चे को छोड़ने की गुहार लगाती रही, लेकिन बैंक कर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी। अनीश ने बताया कि बैंक का कर्मचारी उमाशंकर तिवारी उसके साथ मारपीट करता था। उससे गंदे कपड़े और जूठे बर्तन साफ कराये जाते थे। शराब पीने के बाद उससे बोतलें भी फिंकवाते थे।