छतरपुर, 06 अगस्त। Mawai Ghat Secondary School : मवईघाट माध्यमिक शाला में हाल ही में ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है। दोपहर 12 बजे, जब कक्षा 5 के छात्र अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे, तब प्रभारी प्रधानाध्यापक कुर्सी पर गहरी नींद सोए पाए गए। मास्साब की नींद इतनी प्रगाढ़ थी कि पूछे जाने पर उन्होंने कहा, तबियत खराब है, ज़रा झपकी लग गई।
शिक्षा विभाग ऐसे निद्रालु अफसरों को देखता रहेगा?
जब प्रधानाध्यापक ही कक्षा में उपस्थित छात्रों को पढ़ाने के बजाय नींद में खोए हों, तो यह स्पष्ट संदिग्ध बनाता है कि अन्य शिक्षक कितनी सक्रियता दिखा सकते हैं। इस अनदेखी से यह बात उजागर होती है कि विद्यालय में शिक्षा की बजाय विश्राम का बोलबाला बढ़ रहा है।
यह वही माध्यमिक स्कूल है जहाँ भविष्य गढ़ना तय है, लेकिन फिलहाल मास्साब अपने सपनों में व्यस्त हैं और बच्चे किताबों में सिर झुकाए, शिक्षा की ओर नहीं, आराम की ओर बढ़ रहे हैं।
विभागीय कार्रवाई की ओर संकेत
जैसे ही मामले की जानकारी बीआरसी गौरिहार को मिली, उन्होंने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। विभागीय जांच कर संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।
अन्य रिपोर्टों से तुलना
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक प्रधानाध्यापक को छात्रों के बैग को तकिया बनाकर सोते हुए दिखाया गया था, जबकि छात्र झाड़ू लगा रहे थे। वीडियो वायरल होते ही शिक्षा विभाग ने तत्काल जांच आदेश जारी किया था।
बिहार के मधुबनी जिले में एक प्रधान शिक्षक कक्षा में सोते हुए मिले, जिससे शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए थे। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक की रोक-टोक और निगरानी की कमी, छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल सकती है।