Manmohan Singh Five big decisions
नई दिल्ली। भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह न सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री थे, बल्कि एक महान अर्थशास्त्री भी थे। 1991 से 1996 तक वे भारत के वित्त मंत्री भी रहे। आज की युवा पीढ़ी उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में जानती है, लेकिन वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने जो काम किए, वो आज भी भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव हैं।
उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते ग्रामीण भारत को एक नई दिशा और ताकत मिली। उनके एक फैसले ने गांवों में रहने वाले करोड़ों बेरोजगारों की किस्मत खोल दी थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था और भविष्य को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का भीष्म पितामाह भी कहा जाता है। वित्त मंत्री के रूप में, मनमोहन सिंह ने कई मोर्चों से दबाव के बीच अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। आइए, जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कुछ बड़े फैसले जिसने भारत को प्रगति के पथ लेकर गए। इन फैसलों का असर आज भी देश पर होता है।
Manmohan Singh Five big decisions
1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NAREGA)/मनरेगा (2005)
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 में देश के प्रधानमंत्री बने। मनमोहन सिंह के शासनकाल में ही वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NAREGA) लागू किया गया था। बाद में इस योजना का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी (MGNREGA) कर दिया गया।
इस कानून के तहत देश के गांवों में रहने वाले सभी परिवार के एक सदस्य को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी दी जाती है। अगर लोगों को 100 दिन का काम नहीं दिया जाता तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान कर गरीबी उन्मूलन और आर्थिक व्यवस्था में सुधार लाना था। इस फैसले से ग्रामीण इलाकों में गरीबी कम हुई। और ग्रामीणों का शहरों की ओर पलायन भी कम हुआ।
2. सूचना का अधिकार (Right To Information) पारित
डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने 2005 में “सूचना का अधिकार अधिनियम” (RTI) लागू किया। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने की दिशा में यह एक क्रांतिकारी कानून था, जिसने आम आदमी को सशक्त बनाया। इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी मांग सकता है। इससे सरकारी कामों में पारदर्शिता आई और भ्रष्टाचार कम हुआ। इस कानून के आने के कई कई बड़े घोटाले खुले। इससे सरकार की जवाबदेही और उसके पारदर्शिता सुनिश्चित हुई, जो ओवरऑल इकोनॉमी के लिए एक अच्छा कदम साबित हुआ।
Manmohan Singh Five big decisions
3. भारत अमेरिका परमाणु समझौता (2005)
भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की शुरुआत जुलाई 2005 में हुई थी, जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका गए थे। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता डॉ. मनमोहन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। इस समझौते के बाद भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली थी। 18 जुलाई 2005 को मनमोहन सिंह और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने एक संयुक्त बयान में असैन्य परमाणु समझौते के लिए अपनी सहमति की घोषणा की थी।
यह 1974 में भारत द्वारा किए गए पहले परमाणु परीक्षण के बाद से अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों के लगभग 30 साल बाद हुआ था। यह एक ऐतिहासिक अवसर भी था क्योंकि यह पहली बार था जब भारत को परमाणु हथियार संपन्न देश के रूप में मान्यता दी जा रही थी। इस समझौते के बाद ही भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास यह तकनीक है।
4. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer)
डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी सिस्टम को लागू किया था। इस योजना का कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उनके लिंक किए गए बैंक खातों के माध्यम से सीधे सब्सिडी हस्तांतरित करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करना है। आज भारत के लाखों लोग इस सिस्टम का फायदा उठा रहे हैं।
Manmohan Singh Five big decisions
5. आधार की सुविधा (Aadhar)
केंद्र की मोदी सरकार आज, जिस आधार का गुणगान कर रही है, वो भी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के शासनकाल की ही देन है। बतौर PM रहते हुए डॉ. मनमोहन ने आधार की शुरुआत की थी। आधार को भारत में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा पेश किया गया था,
जिसकी स्थापना 2009 में इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी के नेतृत्व में की गई थी। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को एक ऐसे पहचान प्रमाण पत्र की सुविधा देना था, जिसे आसानी से हर जगह इस्तेमाल किया जा सके। इस पहल को भारत सरकार द्वारा भारत के निवासियों को विभिन्न सेवाओं और लाभों के वितरण को सुव्यवस्थित करने के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य से शुरू किया गया था।