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Tuesday, June 17, 2025

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Mahashivratri 2025 : शिवरात्रि पर शिवमय हुआ भारत, काशी विश्वनाथ समेत 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों का सैलाब, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

Mahashivratri 2025

वाराणसी। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन के महाकालेश्वर, देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम और सोमनाथ समेत 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे,

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जिसके चलते सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। करीब 2,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए और ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन भीड़ नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह सतर्क है।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में 44 घंटे तक दर्शन

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि की शुरुआत विशेष अनुष्ठानों के साथ हुई। मंगलवार रात 2:30 बजे मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद सुबह 4 बजे मंगला आरती हुई। भक्तों को लगातार अगले 44 घंटे तक भगवान महाकाल के दर्शन का अवसर मिलेगा।

Mahashivratri 2025

झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम में भारी भीड़

बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) में भी शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। यहां विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।

देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़

गुजरात में प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए 42 घंटे तक खुला रखा गया है। इसके अलावा अन्य राज्यों में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भी विशेष प्रबंध किए गए हैं, जिससे भक्त निर्बाध रूप से दर्शन कर सकें।

महाशिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और शुभ होता है। इस दिन शिवलिंग पर विभिन्न पूजन सामग्रियां अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से संपन्न हुआ था, इसलिए यह दिन शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है।

Mahashivratri 2025

महाशिवरात्रि की पूजा विधि में विशेष रूप से गंगाजल, दूध, दही, शहद, चीनी, भस्म, बेलपत्र, धतूरा, भांग, अष्टगंध, और फूलों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन भक्त रात्रि जागरण करके भगवान शिव की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं।

देवघर में होने वाली चतुष्प्रहर पूजा का भी विशेष महत्व है, जहां बाबा बैद्यनाथ को सिंदूर अर्पित किया जाता है और मोर मुकुट चढ़ाने की परंपरा होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है।

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