Maharashtra Politics
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक जंग फिर से छिड़ गई है। इस बार इसकी चिंगारी बॉलीवुड फिल्म ‘छावा’, समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के बयान और औरंगजेब बनाम छत्रपति संभाजी महाराज की सदियों पुरानी टकराहट से निकली है। महाराष्ट्र में यह मुद्दा सिर्फ इतिहास तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसके राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं।
फिल्म ‘छावा’ का विवादित डायलॉग
फिल्म ‘छावा’ के अंतिम सीन में एक महत्वपूर्ण संवाद दिखाया गया है:
औरंगजेब: “हमसे हाथ मिला लो, मुगलों की तरफ आ जाओ। जिंदगी बदल जाएगी। बस तुम्हें अपना धर्म बदलना होगा।”
संभाजी: “हमसे हाथ मिला लो, मराठों की तरफ आ जाओ। जिंदगी बदल जाएगी और धर्म भी बदलना नहीं पड़ेगा।”
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यह संवाद मराठा स्वाभिमान और धार्मिक स्वतंत्रता की भावना को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा कि हमें इतिहास में गलत जानकारी दी गई है और औरंगजेब ने मंदिर बनवाए थे।
उन्होंने यह भी कहा कि संभाजी महाराज और औरंगजेब की लड़ाई धर्म को लेकर नहीं थी, बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए थी। अबू आजमी के इस बयान से सियासी भूचाल मच गया है। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के औरंगजेब को लेकर दिए गए बयान पर सत्ताधारी दल के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
शिंदे सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अबू आजमी पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दी थीं और ऐसे व्यक्ति की तारीफ करना “महापाप और अपराध” है।
शिंदे ने यह भी कहा कि अबू आजमी को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि यह हिंदू समाज और मराठा इतिहास का अपमान है।
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राजनीतिक भूचाल और संभावित असर
अबू आजमी के बयान से महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) इस मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठा सकते हैं, जबकि समाजवादी पार्टी और उसके समर्थक इसे “इतिहास के अलग दृष्टिकोण” के रूप में देखने की दलील दे सकते हैं।
मराठा गौरव बनाम इतिहास की व्याख्या
महाराष्ट्र में मराठा गौरव से जुड़ी भावनाएं बेहद मजबूत हैं, और औरंगजेब के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना हमेशा राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है। आने वाले दिनों में इस बयान पर सियासी घमासान और तेज हो सकता है।
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