Mahakumbh 2025 Shahi Snan
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की शुरुआत आज से हो चुकी है। सनातन धर्म का यह सबसे बड़ा महोत्सव 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अंतिम शाही स्नान के साथ इसका समापन होगा। पौष पूर्णिमा के पावन स्नान के साथ प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आगाज हो चुका है।
आज महाकुंभ का पहला शाही स्नान हो रहा है, जिसमें विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत गंगा में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। महाकुंभ के पहले दिन लगभग 1 करोड़ 60 लाख लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई थी। आज भी 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है। इस महापर्व में देश-विदेश से भक्त जुटते हैं, और संगम पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से कई जन्मों के पाप कट जाते हैं। 14 जनवरी को सुबह 4 बजे से शाही स्नान की शुरुआत हुई। इस बार सबसे पहले जूना अखाड़े के साधु-संतों ने शाही स्नान का सौभाग्य प्राप्त किया। हर अखाड़े को तेरह वर्षों बाद सबसे पहले शाही स्नान का अवसर मिलता है।
Mahakumbh 2025 Shahi Snan
शाही स्नान की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें सबसे पहले नागा साधु गंगा में स्नान करते हैं। नागा साधुओं को यह प्राथमिकता उनकी तपस्या और साधना के कारण दी जाती है। प्रयागराज का महाकुंभ हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
महाकुंभ का आयोजन भारत के चार स्थानों – प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में होता है। इन पवित्र स्थलों पर महापर्व के आयोजन का साधु-संतों और श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं महाकुंभ में लाखों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। पूरे क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित की गई है।
Mahakumbh 2025 Shahi Snan
महाकुंभ में सबसे पहले साधु-संतों द्वारा शाही स्नान करने की परंपरा का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसके पीछे कई कारण और मान्यताएँ हैं:
- धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में साधु-संतों को समाज में उच्च आध्यात्मिक स्थान दिया गया है। वे सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर, केवल ईश्वर और धर्म की साधना में लीन रहते हैं। इसलिए, उन्हें धर्मानुसार सबसे पहले स्नान का अधिकार दिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि साधु-संतों के स्नान से कुंभ का क्षेत्र शुद्ध और पवित्र हो जाता है, जिससे अन्य श्रद्धालुओं का स्नान भी फलदायी होता है। - अखाड़ों की परंपरा
शाही स्नान की परंपरा अखाड़ों से जुड़ी हुई है। महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत अपने-अपने समूह के साथ स्नान करते हैं। यह आयोजन उनकी शक्ति, संगठन और धार्मिक महत्व को दर्शाने का प्रतीक है।
अखाड़ों का क्रम और शाही स्नान की प्रक्रिया पहले से निर्धारित होती है, जो परंपराओं और धार्मिक नियमों पर आधारित है। - आध्यात्मिक नेतृत्व
साधु-संत समाज को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं। शाही स्नान करते समय वे यह संदेश देते हैं कि पवित्रता और धर्म का पालन सबसे पहले होना चाहिए। उनके स्नान को शुभ माना जाता है, जो पूरे आयोजन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। - ऐतिहासिक कारण
प्राचीन काल से ही साधु-संतों को महाकुंभ का नेतृत्व करने का अधिकार दिया गया है। यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है, जब ऋषि-मुनि और तपस्वी धार्मिक अनुष्ठानों में प्राथमिकता पाते थे। - सांस्कृतिक दृष्टिकोण
शाही स्नान साधु-संतों की शोभा यात्रा (जुलूस) के साथ होता है, जिसमें उनके अनुयायी और श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और धर्म की विविधता को दर्शाता है।
Mahakumbh 2025 Shahi Snan
महाकुंभ में स्नान करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य है:
- नागा साधुओं की प्राथमिकता: सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं। गृहस्थ जीवन जीने वाले श्रद्धालुओं को उनके बाद स्नान करना चाहिए।
- पांच डुबकियां अनिवार्य: स्नान करते समय कम से कम पांच डुबकी लगाना अनिवार्य है। तभी स्नान पूर्ण माना जाता है।
- साबुन-शैंपू का प्रयोग वर्जित: स्नान के समय साबुन या शैंपू का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे पवित्र जल को अशुद्ध करने वाला माना जाता है।
पहले शाही स्नान का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से लेकर 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 42 से लेकर 6 बजकर 09 तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 03 से लेकर 12 बजकर 57 तक रहेगा।
Mahakumbh 2025 Shahi Snan
शाही स्नान की अन्य तिथियां
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मे आज पहला शाही स्नान होगा। इसके बाद अन्य शाही स्नान की तिथियां कुछ इस प्रकार हैं-
- मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 के दिन दूसरा शाही स्नान होगा।
- मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 के दिन तीसरा शाही स्नान होगा।
- बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 के दिन चौथा शाही स्नान होगा।
- माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 के दिन पांचवा शाही स्नान होगा।
- महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 के दिन आखिरी शाही स्नान होगा।