Mahakumbh 2025
प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ भव्यता और दिव्यता के साथ हो चुका है। पौष पूर्णिमा के इस पावन दिन पर पहला शाही स्नान संपन्न हो रहा है। लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। महाकुंभ 2025 के इस शुभारंभ पर प्रयागराज की पावन त्रिवेणी के घाटों पर आस्था का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिल रहा है।
पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से पहले ही रविवार को लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम त्रिवेणी में डुबकी लगाई। आज के दिन भी लाखों की भीड़ संगम तट पर उमड़ रही है। बड़ी संख्या में साधु-संत, पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे यहां अपनी आस्था को प्रकट कर रहे हैं। चारों ओर हर-हर गंगे और जय गंगे माता के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है।
Mahakumbh 2025
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन खासतौर पर इस बार अद्वितीय है क्योंकि 144 वर्षों बाद इस महापर्व के लिए विशेष संयोग बना है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु और साधु-संत अलग-अलग वेशभूषा में यहां पहुंचे हैं। प्रत्येक अखाड़े के प्रमुख और विभिन्न महात्मा अपने-अपने स्वरूप में कुंभ के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं।
संगम के विभिन्न घाटों पर सुबह ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। साधु-संतों के जत्थों के संग स्नान करते हुए श्रद्धालु अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं। कल्पवास के लिए यहां आए श्रद्धालु संगम तट पर अगले 45 दिन तक व्रत, ध्यान और साधना करेंगे। कुंभ क्षेत्र में लगे शिविरों में सनातन धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है।
Mahakumbh 2025
इस बार का महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में भी देखा जा रहा है। साधु-संतों के प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, योग शिविर और धार्मिक चर्चा जैसे अनेक आयोजन यहां हो रहे हैं। कुंभ का प्रबंधन और व्यवस्था देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो रहे हैं। प्रशासन ने जल, सुरक्षा और सफाई की चाक-चौबंद व्यवस्था की है।
महाकुंभ 2025 न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और अध्यात्मिक शक्ति का परिचायक बन चुका है। इस ऐतिहासिक अवसर पर संगम नगरी का हर कोना आस्था और उल्लास से सराबोर है।
Mahakumbh 2025
वहीं घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम महाकुंभ मेले की एक महत्वपूर्ण पहल है। जल सेना और एनडीआरएफ की तैनाती के माध्यम से इस क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। गंगा और यमुना की जलधारा में डीप वाटर बैरिकेटिंग की व्यवस्था की गई है, जो स्नान करने वालों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है। कुल 12 किलोमीटर तक बने स्नान घाटों पर श्रद्धालु आसानी से स्नान कर सकेंगे।
पौष पूर्णिमा के दिन महाकुंभ के पवित्र कल्पवास की शुरुआत भी होगी, जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व पर 13 अखाड़ों के संत स्नान करेंगे, जो एक भव्य आयोजन होगा।
Mahakumbh 2025
बता दें कि महाकुंभ में छह प्रमुख स्नान पर्व होते हैं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इन स्नान पर्वों का आयोजन विभिन्न तिथियों पर किया जाता है, और प्रत्येक स्नान पर्व का अपना एक विशेष महत्व है।
13 जनवरी – पौष पूर्णिमा: महाकुंभ की शुरुआत इस दिन से होती है।
14 जनवरी – मकर संक्रांति: यह पहला शाही स्नान होता है, जिसे अमृत स्नान भी कहा जाता है।
29 जनवरी – मौनी अमावस्या: यह दूसरा शाही स्नान है, जिसे अमृत स्नान के रूप में मनाया जाता है।
03 फरवरी – बसंत पंचमी: यह महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान होता है, जो विशेष रूप से आध्यात्मिक महत्व रखता है।
12 फरवरी – माघी पूर्णिमा: इस दिन के स्नान के साथ ही कल्पवास का समापन होता है। कल्पवासी आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त कर मां गंगा से विदा लेते हैं।
26 फरवरी – महाशिवरात्रि: यह महाकुंभ का छठा और आखिरी स्नान पर्व है, जिसके साथ महाकुंभ का समापन होता है।