LOVE STORY OF BASTAR
बस्तर। छत्तीसगढ़ में सच्ची प्रेम कहानी की जब भी बात होती है, झिटकू-मिटकी का नाम अवश्य लिया जाता है। बस्तर के इस प्रेमी जोड़े ने प्यार की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी और अमर हो गए।
झिटकू-मिटकी की प्रेम गाथा
बस्तर के जानकार अविनाश प्रसाद के अनुसार, यह कहानी कोंडागांव जिले के विश्रामपुरी मार्ग स्थित पेन्ड्रावन गांव की है। मिटकी इसी गांव की थी। वह अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी, जिनका उस पर अपार स्नेह था। हर दिन सुबह सबसे पहले वे अपनी बहन का चेहरा देखते थे।
समय बीता और गांव में एक मेले का आयोजन हुआ। इसी मेले में मिटकी की मुलाकात झिटकू से हुई। पहली नजर में ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे। उनका प्यार गहराने लगा और दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं।
LOVE STORY OF BASTAR
घर जमाई की शर्त
झिटकू पड़ोसी गांव का निवासी था। जब उसने मिटकी से विवाह की इच्छा जताई, तो भाइयों ने एक शर्त रखी कि उसे घर जमाई बनकर रहना होगा। झिटकू अनाथ था और मिटकी से गहरा प्रेम करता था, इसलिए उसने यह शर्त स्वीकार कर ली। विवाह के बाद उसने मिटकी के लिए एक अलग घर बनाया और दोनों सुखपूर्वक जीवन बिताने लगे।
अंधविश्वास का शिकार
समय बीता और गांव में अकाल पड़ा। तालाब सूख गया और पानी की तलाश में गांववालों ने तांत्रिक की सहायता ली। तांत्रिक ने कहा कि तालाब में एक बाहरी व्यक्ति की नरबलि देनी होगी, तभी पानी वापस आएगा। गांववालों ने मिटकी के भाइयों को उकसाया कि झिटकू बाहरी है, उसकी बलि देनी चाहिए। भाइयों ने अपने स्वार्थ और अंधविश्वास में आकर इस पवित्र रिश्ते को भुला दिया।
बारिश की एक रात झिटकू को तालाब किनारे ले जाकर उसकी हत्या कर दी गई। मिटकी रातभर उसका इंतजार करती रही। सुबह जब उसने तालाब में झिटकू का शव देखा, तो उसका संसार उजड़ गया। उसने भी उसी तालाब में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
LOVE STORY OF BASTAR
अमर प्रेम की विरासत
मिटकी को बाद में ‘गपा देवी’ कहा गया, क्योंकि वह अपने साथ एक टोकरी (गपा) लेकर गई थी। वहीं, झिटकू को ‘खोड़िया राजा’ कहा गया, क्योंकि उसका शव खोड़िया देव की गुड़ी के पास मिला।
आज भी बस्तर में झिटकू-मिटकी की मूर्तियां बनाई जाती हैं, जिन्हें देश-विदेश के पर्यटक अपने साथ ले जाते हैं। उनके नाम पर मेले और मंडई आयोजित होते हैं, जहां कुंवारे और विवाहित जोड़े उनके आशीर्वाद के लिए आते हैं। झिटकू-मिटकी की यह अमर प्रेम गाथा सच्चे प्रेम, त्याग और सामाजिक कुरीतियों पर एक गहरा प्रश्नचिह्न छोड़ जाती है।
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