Loksabha Election 2024
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में सहमति बन गई है। दोनों पार्टियों ने शनिवार को जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी है। इनमें दिल्ली, गुजरात, चंडीगढ़, गोवा और हरियाणा की लोकसभा सीटों के बंटवारे का ऐलान किया है।
दिल्ली में AAP 4 सीटों पर और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हरियाणा में कांग्रेस 9 और AAP एक सीट पर चुनाव लड़ेगी। गुजरात में कांग्रेस 24 और आप 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चंडीगढ़ की सीट कांग्रेस के खाते में गई है।
शनिवार 24 फरवरी को कांग्रेस की तरफ से मुकुल वासनिक और AAP की ओर से सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा की। गोवा की दोनों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस अपने कैंडिडेट उतारेगी। वहीं पंजाब के लिए गठबंधन पर बात नहीं बनी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी वहां पर अलग-अलग चुनाव लड़ने वाली है।
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इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने कहा, ‘UP में गठबंधन का आधिकारिक ऐलान हो चुका है। इसे अंतिम रूप देने में वक्त लगा। आज आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने भी गठबंधन कर आधिकारिक ऐलान कर दिया है।
I.N.D.I.A की सदस्य AAP और कांग्रेस के बीच 23 फरवरी को दिल्ली में बैठक हुई थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया है कि दिल्ली की 7 लोकसभा सीट के लिए दोनों पार्टियों ने 4-3 का फॉर्मूला निकाला था। इसमें ही तय हो गया था कि कांग्रेस दिल्ली की तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इनमें चांदनी चौक, नॉर्थ वेस्ट और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की सीट हैं।
वहीं, AAP दिल्ली की चार सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। इसमें नई दिल्ली, साउथ दिल्ली, वेस्ट दिल्ली और ईस्ट दिल्ली सीट का नाम शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर BJP ने जीत हासिल की थी।
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दिल्ली में भले ही मामला सेट हो गया है लेकिन पंजाब में अब भी पेंच फंसा है। यहां AAP सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और AAP अभी भी एकराय नहीं हो सके हैं। AAP सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के मूड में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में 10 फरवरी को इसका ऐलान भी किया था। उन्होंने 21 फरवरी को कहा था- पंजाब में अकेले लड़ने के फैसला जीतने के लिए किया है
AAP ने कई बार ये संकेत दिया है कि वह I.N.D.I.A गठबंधन के साथ है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग राज्यों में लगातार अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। इसी के तहत AAP ने 8 फरवरी को असम में तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी।
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इसी तरह केजरीवाल ने जनवरी में गुजरात यात्रा के दौरान राज्य की भरूच लोकसभा सीट पर चैतर वसावा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भी इसी के बाद आया है।
गुजरात की भरूच सीट से कांग्रेस के नेता अहमद पटेल सांसद थे। उनका निधन हो चुका है और उनके बाद पटेल के बेटे और बेटी इसी सीट पर कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं।
इधर, TMC ने असम में 2 और मेघालय में 1 सीट मांगी है, जिस पर कांग्रेस और TMC में चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस मेघालय सीट देने की इच्छुक नहीं है। असम में 14 और मेघालय में दो सीटें हैं।
उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ममता भी खुद को I.N.D.I.A का हिस्सा बताती हैं। लेकिन वे सीटों से समझौता करने को तैयार नहीं है। उन्होंने भी अकेले चुनाव लड़ने के अपने फैसले के लिए कांग्रेस के साथ सीट-शेयरिंग को लेकर बातचीत फेल होने का हवाला दिया था।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने रास्ते पहले ही अलग कर चुके हैं। वे I.N.D.I.A के सूत्रधार थे। उन्होंने ही सभी विपक्षी पार्टियों को BJP के खिलाफ एकजुट किया था। लेकिन अब वे खुद 28 जनवरी को NDA में शामिल हो गए और BJP के साथ मिलकर सरकार बना ली।
इधर कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने शनिवार को कहा कि TMC से बातचीत जारी है। ममता बनर्जी ने भी कहा है कि BJP को हराना पहला मकसद है। हमारे बीच तू-तू मैं-मैं होती रहती है।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने ही ममता बनर्जी को पहली बार सांसद बनाया था। उनकी पार्टी का नाम भी देखिए। उसमें तृणमूल भी है और कांग्रेस भी है। कांग्रेस के दरवाजे TMC के लिए सदैव खुले हैं। हम ममता बनर्जी का सम्मान करते हैं। हमारी उम्मीदों के मुताबिक, पल्टी राम (नीतीश कुमार) और RLD को छोडकर इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी 26 पार्टियां एकजुट हैं।
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इससे पहले सपा के साथ कांग्रेस की सीट शेयरिंग फिक्स हो गई है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने यूपी-एमपी की सीटों पर समझौता किया है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं। इसके उलट मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से कांग्रेस ने एक खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दी है।
सीट शेयरिंग के बाद अब देखना होगा कि ये 26 दल कैसे भाजपा की रणनीति का मुकाबला चुनाव में करते हैं।