नई दिल्ली. देश के किसान अपनी मांगो को लेकर एक बार फिर सड़को पर उतर आए है, पंजाब से दिल्ली की ओर किसान कूच सकर रहे है. आंदोलन को देखते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की बॉर्डर सील कर दिया गया है. हरियाणा के 7 और राजस्थान के 3 जिलों में इंटरनेट बंद है, 15 जिलों में धारा 144 लागू की गई है, हरियाणा और दिल्ली की सिंघु-टीकरी बॉर्डर, यूपी से जुड़ी गाजीपुर बॉर्डर सील कर दी गई हैं. दिल्ली में भी कड़ी बैरिकेडिंग है. यहां एक महीने के लिए धारा 144 भी लागू कर दी गई है. भीड़ जुटने और ट्रैक्टर्स की एंट्री पर रोक लगा दी है.
इस आंदोलन के पहले किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चर्चा हुई, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून और कर्ज माफी पर सहमति नहीं बन पाई थी, जिसके बाद आज सड़को पर किसान उतरे है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की मांगों को लेकर सीरियस नहीं है, उनके मन में खोट है, वह सिर्फ टाइम पास करना चाहती है, हम सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे, लेकिन आंदोलन पर कायम हैं.

17 दिसंबर 2020 का किसान आंदोलन
बता दे कि इससे पहले कृषि कानून बिल को लेकर लाखों किसानों ने मोर्चा खोला था, कृषि कानून बिल लागू न करने की मांग को लेकर 17 दिसंबर 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने आंदोलन किया था जो कि 378 दिन तक चला था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने बिल वापस ले लिया, इस बार फिर किसानोें ने अपनी मांगों को लेकर एक जूटता दिखाई है औक ट्रेक्टर लेकर आंदोलन करने निकल पड़े है.
ये है किसानों की प्रमुख मांगें
स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार सभी फसलों की एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग
किसानों और खेत मजदूरों की कर्जमाफी की मांग
लखीमपुर खीरी में जान गंवाने वाले किसानों को इंसाफ और आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर सभी दोषियों को सजा की मांग
लखीमपुर खीरी कांड में घायल सभी किसानों को वादे के मुताबिक 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग
किसान आंदोलन के दौरान दर्ज केस रद्द करने की मांग
पिछले आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के आश्रितों को नौकरी
200 दिन मनरेगा की दिहाड़ी मिले
700 रुपये प्रतिदिन मजदूरी की मांग
फसल बीमा सरकार खुद करे
किसान और मजदूर को 60 साल होने पर 10 हजार रुपये महीना मिले
विश्व व्यापार संगठन से खेती को बाहर किया जाए.