Korba News
कोरबा। कोरबा जिले से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। मिली जानकरी के मुताबिक जिले के पौड़ी उपरोड़ा विकासखंड स्थित कस्तूरबा गांधी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ रही 11वीं की छात्रा बिन ब्याही मां बन गई है। सबसे बड़ी बात ये है कि जब छात्रा बाथरुम गई तो वहीं पर उसे प्रसव दर्द होने लगा। घटना कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, पोड़ी गांव की है। जिसके बाद स्कूल की अधीक्षक जय कुमारी को निलंबित कर दिया गया है।
वहीं अभी नवजात बच्ची की हालत गंभीर है। दरअसल मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा के पोड़ी गांव के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में एक नाबालिग छात्रा ने एक बच्ची को जन्म दिया। विद्यालय आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित है। बताया जा रहा है कि छात्रा की उम्र 17 साल है और वह 11वीं क्लास में पढ़ती है। छात्रा ने गर्भावस्था के सातवें या आठवें महीने में बच्ची को जन्म दिया।
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इसके बाद नाबालिग छात्रा ने नवजात को छात्रावास के बाथरूम की खिड़की से बाहर फेंक दिया था। मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। इस मामले में नवजात शिशु को जिला मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है, जहां उसका उपचार जारी है। वहीं छात्रा का भी अस्पताल में उपचार जारी है। इस मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर अजीत वसंत ने छात्रावास प्रभारी को निलंबित कर जांच के निर्देश दिए हैं।
वहीं इसकी शिकायत बांगो थाना पुलिस से की गई। बताया जा रहा है कि आरोपी बांगो थाना अंतर्गत ग्राम घुमानीडांड निवासी 20 वर्षीय रामकुमार कमरो पीड़ित नाबालिग के साथ दोस्ती कर सदी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। जब कुछ दिनों बाद छात्रा गर्भवती हो गई तो उसने इसकी जानकारी अपने प्रेमी को दी।
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इसपर आरोपी ने छात्रा से दूरी कर आरोपी पीड़ित छात्रा से शादी करने से इनकार करने लगा। इसके बाद मजदूरी करने तेलंगाना चला गया। तब यह घटना सामने आई। पीड़िता की मां की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपी को तेलंगाना से गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जा रही है।
समाज और प्रशासन के लिए सबक:
- शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा: आवासीय विद्यालयों में सुरक्षा और निगरानी की कमी साफ झलकती है। छात्राओं के लिए काउंसलिंग और स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य बनाना चाहिए।
- समाज में जागरूकता: नाबालिगों को यौन शिक्षा और उनके अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे ऐसे हालात का सामना कर सकें।
- कानूनी कदम: आरोपी को सख्त सजा देकर यह संदेश देना जरूरी है कि इस तरह के अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
- मानसिक और शारीरिक उपचार: पीड़िता और नवजात बच्ची दोनों को उचित चिकित्सा और मानसिक सहारा दिया जाना चाहिए।