Kolkata Tram News
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 1873 से जारी ट्राम सर्विस जल्द ही बंद होने वाली है। पश्चिम बंगाल सरकार ने यातायात को कम करने और परिवहन के तेज़ साधनों को शुरू करने के प्रयास में कोलकाता की ट्राम को बंद करने का फैसला किया है। परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि यात्रियों को परिवहन के तेज़ साधनों की आवश्यकता होती है, और ट्राम अक्सर अपनी धीमी गति के कारण सड़कों पर भीड़भाड़ का कारण बनती हैं।
हालांकि, इसका एक रूट चालू रहेगा। भारत के ट्राम वाले आखिरी शहर कोलकाता में अब केवल एस्प्लेनेड और मैदान के बीच का रूट ही बना रह पाएगा। 2023 में, शहर की विरासत ट्राम सेवाओं के 150 साल पूरे होने पर कोलकाता में जश्न मनाया गया। राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती और अन्य अधिकारियों ने केक काटकर शहर के गौरवपूर्ण क्षण का जश्न मनाया।
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मंत्री ने कहा कि ट्राम हमारा गौरव है। आजकल, ट्राम मार्ग पहले की तुलना में छोटे हैं। लेकिन सरकार ने ट्राम के कुछ विरासत मार्गों को बनाए रखने की कोशिश की है। हमारी पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि शहर में ट्राम सेवाएं कभी खत्म न हों।
सरकार के फैसले से यूजर्स के बीच गहरी निराशा
सरकार के इस फैसले ने ऑनलाइन यूजर्स के बीच गहरी निराशा पैदा कर दी है। कई लोगों ने परिवहन के ऐसे ऐतिहासिक जरिए के खत्म होने पर शोक जताया है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने दुख जताते हुए लिखा, “एक युग का अंत.. कोलकाता ट्राम की 151 साल पुरानी विरासत का अंत हो गया.. इस प्रतिष्ठित चैप्टर के खत्म होने के साथ ही हम इतिहास के एक हिस्से को अलविदा कह रहे हैं। आने वाली पीढ़ियां ट्राम को सिर्फ फीकी तस्वीरों और पुरानी यादों की कहानियों के जरिए ही जानेंगी। RIP कोलकाता ट्राम।”
तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “कोलकाता में 150 साल की विरासत ट्रांसपोर्ट ट्राम बंद कर दी गई। कोलकाता की सड़कों पर उसे याद किया जाएगा।” तीसरे यूजर ने कमेंट किया, “विरासत और स्थिरता की प्रतीक कलकत्ता की सदियों पुरानी ट्राम प्रणाली को बंद करने के लिए सत्ताधारियों को बधाई।
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इसे आधुनिक बनाने के बजाय, उन्होंने इसे खत्म होने दिया। जब आप इसे मिटा सकते हैं तो इतिहास को संरक्षित क्यों करें? जब अराजकता ही सबसे ऊपर है तो पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्ट की क्या जरूरत है? कोलकाता की आत्मा का एक और टुकड़ा, बिना किसी दूसरे विचार के त्याग दिया गया।”
पहले घोड़े से खींची जाती थी ट्राम
बता दें कि ट्राम की शुरुआत सबसे पहले कोलकाता में अंग्रेजों द्वारा घोड़े से खींची जाने वाली कारों के रूप में हुई थी, जिन्हें 24 फरवरी, 1873 को पटरियों पर उतारा गया था। भाप इंजन 1882 में पेश किए गए थे, और पहली बिजली से चलने वाली ट्राम 1900 में शुरू की गई थी। कोलकाता के विद्युतीकरण के लगभग 113 वर्षों के बाद ट्राम, एसी ट्राम 2013 में पेश किए गए थे।
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ट्राम को पहले पटना, चेन्नई, नासिक और मुंबई जैसे अन्य शहरों में भी चलाया जाता था, लेकिन बाद में उन्हें बंद कर दिया गया। लेकिन कोलकाता की ट्राम, जो 150 साल तक चली, आखिरी ट्राम थी और शहर के सांस्कृतिक परिदृश्य का पर्याय बन गई थी।
वहीं कोलकाता में ट्राम का भी विकास हुआ, 1882 में भाप इंजन शुरू किए गए और 1900 में पहली बिजली से चलने वाली ट्राम शुरू हुई। शहर में इलेक्ट्रिक ट्राम का इस्तेमाल शुरू होने के लगभग 113 साल बाद, 2013 में एसी ट्राम शुरू की गई।
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