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Karnataka woman assaulted : कर्नाटक में महिला को दी गई ‘तालिबानी सजा’, मस्जिद के सामने लाठी-डंडों से पीटा, 6 आरोपी गिरफ्तार

Karnataka woman assaulted

दावणगेरे। कर्नाटक के दावणगेरे जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। यहां 9 अप्रैल को एक मुस्लिम महिला शबीना बानू को भीड़ ने मस्जिद के सामने सरेआम बेरहमी से पीटा। लाठी-डंडे, लोहे की पाइप और पत्थरों से महिला को बुरी तरह से पीटा गया। इस दौरान महिला के सिर को पत्थर से कुचलने की कोशिश भी की गई।

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घटना चन्नगिरी तालुका के तावरेकेरे गांव की है। बताया जा रहा है कि 7 अप्रैल को शबीना से मिलने उसकी रिश्तेदार नसरीन और एक पुरुष मित्र फयाज आए थे। कुछ समय बाद तीनों बाहर घूमने निकल गए। जब शबीना का पति जमील अहमद उर्फ शमीर घर लौटा और दोनों को घर में पाया, तो वह गुस्से से आगबबूला हो गया और मामले की शिकायत स्थानीय जामा मस्जिद में कर दी।

Karnataka woman assaulted

इसके दो दिन बाद, 9 अप्रैल को शबीना, नसरीन और फयाज को मस्जिद में बुलाया गया। वहां मस्जिद के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई और शबीना को ‘तालिबानी अंदाज़’ में पीटा गया। लोगों ने इस खौफनाक घटना का वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई।

वीडियो वायरल होने के बाद दावणगेरे पुलिस ने तेज़ कार्रवाई करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। सभी पर अटेम्प्ट टू मर्डर (हत्या की कोशिश), साजिश रचना, और हमला करने जैसी गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। मामला चन्नगिरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 202/2025 के तहत दर्ज हुआ है।

गिरफ्तार आरोपियों में शामिल हैं:
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:

फिलहाल पीड़िता शबीना की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन यह घटना देश में महिला सुरक्षा, धार्मिक सहिष्णुता और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल छोड़ गई है।

Karnataka woman assaulted

कट्टरपंथी सोच कब खत्म होगी?

कट्टरपंथी सोच का खात्मा एक लंबी प्रक्रिया है, जो शिक्षा, समानता और जागरूकता पर आधारित है। इसके लिए हमें मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से जोड़ना होगा, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें। इसके साथ ही, समाज में लिंग समानता बढ़ाना और महिलाओं को सशक्त बनाना जरूरी है, ताकि वे अपनी स्थिति को बेहतर बना सकें।

पुलिस और कानूनी व्यवस्था को मजबूत करना भी अहम है, ताकि ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई हो और महिलाओं को सुरक्षा मिल सके। इसके अलावा, मीडिया और सोशल मीडिया का सही उपयोग भी कट्टरपंथी सोच को चुनौती देने में सहायक हो सकता है।

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