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Friday, June 20, 2025

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Karnataka Government Hospital : कर्नाटक के सरकारी अस्पताल में लापरवाही की हदें पार, सर्जरी के बाद टांके की जगह लगा दी Feviquick! माता-पिता ने बनाया वीडियो, नर्स सस्पेंड

Karnataka Government Hospital

कर्नाटक के हावेरी जिले के हंगल तालुका के अदुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एक बेहद हैरान करने वाली घटना सामने आई है। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां एक नर्स ने 7 वर्षीय बच्चे के गहरे घाव पर टांके लगाने के बजाय Feviquick चिपका दिया। यह वही फेविक्विक है, जो आमतौर पर टूटी चीजों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है, न कि चिकित्सा उपचार के लिए।

नर्स की इस गंभीर लापरवाही के बाद जब बच्चे के माता-पिता ने सवाल उठाए, तो उसने बेफिक्री से जवाब दिया कि वह सालों से ऐसा करती आ रही है और इसे सुरक्षित मानती है। माता-पिता ने इसका वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

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वीडियो वायरल होते ही राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नर्स को सस्पेंड कर दिया है और मामले की जांच की जा जारी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस तरह के चिपकने वाले पदार्थ का चिकित्सा उपयोग कानूनी रूप से प्रतिबंधित है। फ़िलहाल इस पूरे लापरवाही भरे घटनाक्रम में अच्छी खबर यह है कि जिस बच्चे पर यह लापरवाही की गई, उसकी सेहत अब स्थिर है और वह खतरे से बाहर है।

खबरों के मुताबिक सात वर्षीय गुरुकिशन अन्नप्पा होसामनी को उसके माता-पिता गाल पर गहरे घाव से बहुत अधिक खून बहने पर इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे। नर्स ने बच्चे के घाव पर टांके लगाने की बजाय फेवीक्विक का इस्तेमाल कर चिपका दिय़ा। जिसके बाद माता-पिता ने नर्स के इस घटना क्रम का इसका वीडियो बना लिया।

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वीडियो में नर्स कह रही है कि वह सालों से ऐसा करती आ रही है। टांके लगाने से बच्चे के चेहरे पर निशान रह जाएगा, फेविक्विक बेहतर है। बाद में माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई। वीडियो साक्ष्य के बावजूद नर्स ज्योति को निलंबित करने के बजाय अधिकारियों ने उसे तीन फरवरी को हावेरी तालुका के गुत्थल स्वास्थ्य संस्थान में स्थानांतरित कर दिया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया।

नर्स का यह दावा कि वह सालों से ऐसा कर रही है, जो यह दर्शाता है कि चिकित्सा मानकों की अनदेखी लंबे समय से हो रही है। अधिकारियों द्वारा उसे निलंबित करने के बजाय केवल स्थानांतरित करना, इस मामले को और भी गंभीर बनाता है क्योंकि इससे जवाबदेही और चिकित्सा नैतिकता पर सवाल उठते हैं।

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