Justice Yashwant Verma Cash
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद इस मामले में बड़ा मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले आंतरिक जांच पूरी होनी चाहिए, इसके बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि फिलहाल इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि जांच में जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पास एफआईआर दर्ज कराने या सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने का विकल्प खुला रहेगा।
Justice Yashwant Verma Cash
कैसे हुआ मामला उजागर?
यह मामला तब सामने आया जब जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास (30, तुगलक क्रेसेंट) में आग लगने की घटना हुई। आग बुझाने पहुंची टीम को वहां भारी मात्रा में नकदी मिली, जिससे मामला चर्चाओं में आ गया। इस घटना के बाद न्यायपालिका और प्रशासनिक महकमों में हलचल मच गई।
जांच के लिए समिति गठित
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में शामिल हैं:
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू
- हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधवालिया
- कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु सिवरमण
- समिति ने 22 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया और करीब 30-35 मिनट तक पूछताछ की।
Justice Yashwant Verma Cash
जस्टिस वर्मा पर क्या असर पड़ा?
दिल्ली हाईकोर्ट प्रशासन ने जस्टिस वर्मा को फिलहाल डी-रोस्टर कर दिया है, यानी वे अब कोई भी मामलों की सुनवाई नहीं करेंगे। वहीं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की है।