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Thursday, October 16, 2025

Parole Extended : कारोबारी अनवर ढेबर की पैरोल अवधि बढ़ाई गई…! मां की तबियत खराब होने पर मिली सात दिन की राहत

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Japan- Indonesia Earthquake : भूकंप से कांपी धरती, जापान और इंडोनेशिया में फिर दहशत, 5.4 और 5.8 की तीव्रता से हिले ज़मीन के नीचे के रहस्य

Japan- Indonesia Earthquake

जापान/इंडोनेशिया। धरती ने एक बार फिर अपनी खामोशी को तोड़ते हुए जोर से झटका दिया। जापान और इंडोनेशिया—दो ऐसे देश जो पहले ही प्रकृति की मार झेलते रहे हैं, फिर से भूकंप की दहशत में डूब गए। एक ओर जापान के ओकिनावा में धरती हिली, तो दूसरी ओर इंडोनेशिया के पश्चिमी आचे प्रांत में समुद्र के नीचे कंपन ने लोगों की नींद उड़ा दी।

ओकिनावा: जहां रात नहीं थमती

जापान के ओकिनावा इलाके में सोमवार की रात अचानक सब कुछ थम गया, और फिर हिल गया। रिक्टर स्केल पर 5.4 की तीव्रता वाला भूकंप आया। झटका छोटा नहीं था, लेकिन डर उससे कहीं बड़ा था। भूकंप का केंद्र योनागुनी से 48 किलोमीटर दूर, समुद्र की गहराई में 124 किलोमीटर नीचे था। वहां से उठी कंपकंपी ने ओकिनावा को थरथरा दिया।

सरकार ने राहत की सांस ली कि जान-माल की हानि नहीं हुई। लेकिन असली डर तो वो है जो अब भी लोगों की आंखों में है, क्योंकि जापान पहले ही हाई अलर्ट पर है। वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके हैं कि कोई बहुत बड़ा भूकंप आने वाला है। ऐसा भूकंप जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा। ऐसी सुनामी जो तटीय शहरों को निगल सकती है। अनुमान है कि अगर यह ‘महा-भूकंप’ आया, तो 3 लाख से अधिक जानें जा सकती हैं।

इंडोनेशिया: एक हफ्ते में दूसरी बार हिला द्वीप

जैसे ही जापान शांत हुआ, धरती ने अपनी बेचैनी इंडोनेशिया में उड़ेल दी। पश्चिमी आचे प्रांत में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया। समुद्र के नीचे, सिनाबंग शहर से 62 किलोमीटर दूर, धरती फटी और उसकी गहराई से निकला कंपकंपाता संदेश। यह पिछले पांच दिनों में दूसरा भूकंप था, और यह बात लोगों के दिलों में गूंज बनकर बैठ गई है।

इंडोनेशिया की धरती पर वैसे ही हर वक्त डर बैठा रहता है। ‘रिंग ऑफ फायर’ पर बसा यह देश दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय भूकंपीय और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में से एक है। यहां 127 ज्वालामुखी नींद में हैं — लेकिन कब जाग जाएं, कोई नहीं जानता।

3 अप्रैल को इसी देश में 5.9 तीव्रता का एक और भूकंप आया था। अब जब पांच दिन में दूसरा झटका महसूस हुआ, तो लोगों ने आकाश की ओर देखा, शायद कोई दया कर दे, या कोई चेतावनी दे दे।

प्रकृति का सबक या गुस्सा?

जापान और इंडोनेशिया के लोग इस समय एक अनदेखे, अनसुने डर में जी रहे हैं। सरकारें अलर्ट पर हैं, एजेंसियां एक्टिव हैं, और लोगों की निगाहें हर छोटी हलचल पर टिक गई हैं। भले ही अभी तक कोई जान-माल की क्षति नहीं हुई हो, लेकिन धरती का यह सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं लगता। क्या यह सिर्फ भूगर्भीय गतिविधि है? या फिर प्रकृति का गुस्सा, जिसका हिसाब अब हमसे मांगा जा रहा है? जो भी हो, अब यह साफ है कि धरती कुछ कहना चाहती है। और हमें उसकी आवाज़ को सुनना होगा . इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

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