Jain Mandir vile Parle Mumbai
मुंबई/जबलपुर। जैन समाज की आस्था को गहरी ठेस पहुँचाने वाली दो घटनाओं ने देशभर में जैन समुदाय को आक्रोशित कर दिया है। पहली घटना मुंबई के विले पारले इलाके में घटी, जहाँ महाराष्ट्र सरकार द्वारा 30 वर्ष पुराने पार्श्वनाथ जैन मंदिर को तोड़ दिया गया। दूसरी घटना मध्यप्रदेश के जबलपुर में सामने आई, जहाँ कुछ बीजेपी नेताओं ने जैन समाज को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिनमें ‘रावण’ से तुलना भी शामिल थी।
मंदिर विध्वंस पर आस्था को झटका
मुंबई के विले पारले स्थित यह मंदिर जैन समाज के लिए न केवल पूजा का स्थल था, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर भी था। विश्व जैन संगठन और जिन शासन एकता संघ के नेताओं – राजेश जैन दद्दू और मयंक जैन – ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि समाज बार-बार प्रशासन से निवेदन करता रहा कि यह मंदिर उनकी आस्था का प्रतीक है, फिर भी इसे तोड़ा गया।
Jain Mandir vile Parle Mumbai
जबलपुर में अपमानजनक बयान
मध्यप्रदेश के जबलपुर में कुछ स्थानीय नेताओं द्वारा जैन समाज को लेकर की गई विवादित टिप्पणियों से समाज और अधिक आहत हुआ है। जैन समाज की तुलना रावण से करना और अनुचित भाषा का प्रयोग करना, उनकी धार्मिक गरिमा को चोट पहुँचाने जैसा माना जा रहा है।
समाज की एकजुट प्रतिक्रिया
इन दोनों घटनाओं के बाद जैन समाज में गहरा आक्रोश है। संगठनों ने स्पष्ट किया कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और सरकार के खिलाफ एकजुट आंदोलन की शुरुआत करेंगे। समाज ने इसे अपनी आस्था और अस्तित्व पर हमला करार दिया है।
क्या कहती है संविधान और समाज की अपेक्षा?
भारत में सभी धर्मों को समान अधिकार और सम्मान का अधिकार है। धार्मिक स्थलों की रक्षा, आस्था का सम्मान और सार्वजनिक बयानों में संवेदनशीलता – यह न केवल कानूनी ज़िम्मेदारी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी है।