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Wednesday, June 18, 2025

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ISRO आज शााम लॉन्च करेगा INSAT-3DS Satellite, इसका निक नेम ‘नॉटी बॉय’, जानिए कितने काम आएगा

ISRO launches INSAT-3DS satellite

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी शनिवार शाम 5.35 पर एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है.

इसरो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से मौसम उपग्रह INSAT-3DS को लॉन्च करेगा। यह लॉन्चिंग जीएसएलवी एफ14 रॉकेट से की जाएगी.

ISRO launches INSAT-3DS satellite

इस साल इसरो का है यह दूसरा मिशन
इसरो का कहना है कि इनसैट-3डीएस वर्ष 2013 में लॉन्च किए गए मौसम उपग्रह इनसैट -3डी का उन्नत स्वरूप है. 1 जनवरी 2024 को को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसैट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद इस साल इसरो का यह दूसरा मिशन है. इस मिशन की पूरी फंडिंग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की है.

कैसे पड़ा नॉटी बॉय नाम
इनसैट-3डीएस को जीएसएलवी एफ14 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. इस रॉकेट को नॉटी बॉय भी कहा जाता है. इसका यह नाम इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने दिया था. उन्होंने इसका नामकरण इसरो के डाटा और इसकी स्ट्राइक रेट को ध्यान में रखते हुए किया था. इस रॉकेट ने अभी तक 15 उड़ानों में से 6 में सटीक नतीजे नहीं दिए हैं. इसका असफलता रेट 40 प्रतिशत रहा है.

ISRO launches INSAT-3DS satellite

क्या-क्या होगा लाभ
1. इनसैट-3 डीएस सेटेलाइट भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान उपग्रह का अनुवर्ती मिशन है.
2. इनसै-3 डीएस की लॉन्चिंग से मौसम संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी.
3. इनसैट-3 डीएस से समुद्र की सतह का गहन अध्ययन किया जा सकेगा.
4. भारतीय मौसम एजेंसियों के लिए यह सेटेलाइट बहुत ही महत्वपूर्ण है. इससे प्राकृतिक आपदाओं की पहले ही सटीक जानकारी मिल सकेगी.
5. इनसेट-3 डीएस से डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह किया जा सकता है.
6. यह सेटेलाइट वर्तमान में कार्यरत इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा.

क्या है खासियत
इनसैट-3 डीएस का वजन 2274 किलोग्राम है. सेटेलाइट (satellite) को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. रॉकेट इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सेटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ले जाएगा. इसका उपयोग बादल, कोहरा, बारिश, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समंदरों पर शोध करने के लिए किया जाएगा.

 

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