INTERNATIONAL CULTURAL FESTIVAL
रायपुर। छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए पी.डी. पंथी परिवार ने एक अनोखा इतिहास रच दिया है। इजिप्ट (मिश्र) में आयोजित 12वें अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव (12-24 फरवरी) में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पंथी नृत्य ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। इस महोत्सव में 17 देशों की भागीदारी रही, जहां छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने अपनी संस्कृति का परचम लहराया।
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पंथी नृत्य: गुरु घासीदास जी के संदेश का विश्वव्यापी प्रसार
छत्तीसगढ़ के इस सांस्कृतिक दल ने पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा गुरु घासीदास जी के “मानव-मानव एक समान” के संदेश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया। यह नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि समानता और एकता का प्रतीक है, जिसने वैश्विक दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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अन्य लोकनृत्यों ने भी बिखेरी छत्तीसगढ़ की छटा
टीम ने पंथी नृत्य के अलावा कर्मा, सुवा और बस्तर की आदिवासी संस्कृति को भी प्रस्तुत किया, जिससे छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरकर सामने आईं। यह पहली बार हुआ जब छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को इजिप्ट जैसे ऐतिहासिक देश में प्रदर्शित किया गया।
नील नदी पर फहराया तिरंगा, इजिप्ट सरकार ने किया सम्मानित
इस महोत्सव में भारत की भागीदारी को ऐतिहासिक बनाने के लिए छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा में नील नदी पर तिरंगा फहराया गया, जो एक गर्व का क्षण था। इजिप्ट सरकार ने छत्तीसगढ़ पी.डी. पंथी परिवार की इस उपलब्धि को शील्ड और सम्मान पत्र देकर मान्यता दी, जिससे राज्य और देश दोनों का गौरव बढ़ा।
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छत्तीसगढ़ के कलाकारों की ऐतिहासिक भागीदारी
इस उपलब्धि में टीम के महत्वपूर्ण सदस्य पुनदास, डॉ. हरेंद्र, मनोज कुमार, रामाधार बंजारे, अल्का मिंज, आकांक्षा केशवानी, मुस्कान देशलहरे, आकांक्षा वर्मा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें मुस्कान देशलहरे (ग्राम घुघसीडीह, जिला दुर्ग), जो इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर की छात्रा हैं, ने अपने कॉलेज के साथियों के साथ इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की चमक
राष्ट्रीय उपलब्धियाँ:
- लोकनृत्य प्रतियोगिता में 3 बार राष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
- गणतंत्र दिवस 2023 में नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर पंथी नृत्य में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया।
- भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों में अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया।
- अंतर्राष्ट्रीय पहचान: 8 देशों से आमंत्रण मिल चुका है, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाता है।
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छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊँचाइयाँ
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है। पी.डी. पंथी परिवार और उनकी टीम ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत का सम्मान बढ़ाया है। बल्कि यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के लिए भी गर्व का विषय है, जो यह दर्शाती है कि हमारी लोकसंस्कृति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में सक्षम है।