Indus Water Treaty
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका दिया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। साथ ही, भारत ने किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन द्वारा जारी पूरक फैसले को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि भारत इस मध्यस्थता अदालत को अवैध मानता है और इसके किसी भी फैसले को कानूनी मान्यता नहीं देता। भारत का कहना है कि यह कोर्ट सिंधु जल संधि के नियमों का उल्लंघन करते हुए गठित हुई है, और पाकिस्तान ने इसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है।
Indus Water Treaty
भारत ने दो टूक कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह और स्थायी रूप से खत्म नहीं करता, तब तक भारत सिंधु जल संधि के किसी भी प्रावधान का पालन करने को बाध्य नहीं है।
पाकिस्तान ने किशनगंगा (330 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) परियोजनाओं पर आपत्ति जताई थी, यह दावा करते हुए कि ये सिंधु जल संधि का उल्लंघन हैं। लेकिन भारत का साफ कहना है कि ये परियोजनाएं संधि के नियमों के अनुसार पूरी तरह वैध हैं, और इनसे पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं होगा।
इसके साथ ही, भारत ने विश्व बैंक द्वारा नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट को पत्र लिखकर विवाद की कार्यवाही फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया है। नवंबर में होने वाली संयुक्त बैठक को भी भारत ने टालने की मांग की है।
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने भी पाकिस्तान की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि “पाकिस्तान की चिट्ठियां महज औपचारिकताएं हैं और भारत के रुख को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” यह फैसला साफ संकेत है कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगा, चाहे वह पानी की साझेदारी ही क्यों न हो।
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