INDORE: Guru Purnima
इंदौर। जीवन में गुरु का महत्व माता पिता से बढ़कर होता है | माता-पिता हमें ज़िन्दगी में चलना सिखाते हैं, लेकिन हमारे गुरु हमें ज़िन्दगी में दौड़ना सिखाते हैं | गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ये बात इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही। यहीं उन्होंने बताया कि गुरु और शिक्षक में क्या अंतर होता है। सीएम डॉक्टर मोहन यादव अपने वक्तव्य में कई पौराणिक उदाहरणों का भी जिक्र किया। लेकिन आम जन के लिए बताया कि सामान्यत जीवन में शिक्षक पाठ्यक्रम पढाता है लेकिन गुरु जीवन के अंत तक राह दिखाता है
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गुरुओं का महत्व सत्युग से
सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘कुलपति का नाम कुलगुरु करने का विचार हमें इंदौर से ही आया था । सतयुग से गुरु का स्थान बहुत ऊंचा माना जाता है | बड़े बड़े ज्ञानी योद्धा राजा महाराजा भी गुरुओं से ही शिक्षा दीक्षा ले कर ही आज भी इतिहास का गौरव बड़ा रहे हैं |
शिक्षक दिवस साथ गुरुपूर्णिमा को माने
गुरु और शिष्य की बात आए और गुरु द्रोणाचार्य और अर्जुन की बात ना हो ऐसा कैसे हो सकता है ? गुरुओं का स्थान सर्वोपरि है गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है लेकिन आज हम उसे भूल चुके हैं। हमारे बीच में आज शिक्षक दिवस मनाया जाता है लेकिन गुरु पूर्णिमा नहीं मनाया जाता। शिक्षक का अपना महत्व है, लेकिन गुरु का महत्व भी पता होना चाहिए।
अर्जुन और विवेकानंद गुरुओं की बदौलत
स्वामी विवेकानंद कॉलेज में शिक्षकों से पढ़े लेकिन गुरु के रूप में रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें जीवन की नई दिशा दी। इतना ही गुरु नहीं होते तो शिवाजी, चाणक्य, अर्जुन, विवेकानंद जैसे नाम नहीं होते।
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अब कुलपति कहलाएंगे कुलगुरु
इसलिए जीवन में हमेशा गुरु जरूर बनाएं। उन्होंने अपने संबोधन में साफ किया कि मध्यप्रदेश में कुलपति को अब कुलगुरु कहा जाएगा यह आदेश भी अब पूरे प्रदेश में लागू हो गया है।