Indian Freedom Fighters Veer Narayan Singh
रायपुर। छत्तीसगढ़ के गौरव और स्वतंत्रता संग्राम के पहले सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में 8 से 10 दिसंबर तक बलौदा बाजार जिले के सोनाखान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कल 10 दिसम्बर को शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होकर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री रायपुर के न्यू सर्किट हाउस सिविल लाईन में अपेक्स बैंक एवं जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के संयुक्त कार्यक्रम में शामिल होंगे। जारी दौरा कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री दोपहर 12 बजे राजधानी रायपुर के जयस्तंभ चौक में आयोजित कार्यक्रम में शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
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शहीद वीर नारायण सिंह की संघर्ष की कहानी
अंग्रेज भारत देश को लूटने आए थे।उनका उद्देश्य भारतीयों में फूट डालो और राज करो की नीति था।1856-57 में भयंकर अकाल पड़ा, प्रजा को भूख से बचाने के लिये वीर नारायण सिंह ने अपने गोदामों में भरा अनाज जनता में बांट दिया और अधिक आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने एक व्यापारी से उसके गोदाम में रखा अनाज मांगा ताकि जनता की जरूरत पूरी हो सके। उसके मना करने पर वीर नारायण सिंह ने उस व्यापारी के गोदाम का ताला तोड़कर अनाज गरीबों में बांट दिया।
इसके बाद उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म वर्तमान बलौदाबाजार-भाटापारा जिला के ग्राम सोनाखान में सन् 1795 में हुआ था। उनके पिता रामराय सोनाखान के तत्कालीन जमींदार थे। लेकिन उनका हृदय हमेशा किसानों और गरीबों के लिए धड़कता था। गौरतलब है कि उस समय अंग्रेजों की नजर सोनाखान की सोने पर थी। वे सोनाखान को हर हाल में खाली कराकर सोना को हासिल करना चाहते थे।
लेकिन शहीद वीर नारायण सिंह सोनाखान के इस महत्व को जानते थे वे अपने मातृ भूमि को किसी भी स्थिति में खाली करना नहीं चाहते थे। परिणाम स्वरुप भीषण संग्राम पश्चात अंग्रेजों ने सोनाखान को खाली कराने के लिए पूरे सोनाखान में आग लगा दिए। सोनाखान के विद्रोह का आरोप लगाकर अंग्रेजी हुकूमत ने 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के एक भीड़ भरे चौराहे पर फांसी दी गईं । जिसे आज जय स्तम्भ चौक रायपुर के नाम से जाना जाता है।
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6 दिनों तक वीर नारायण सिंह को फांसी पर लटकाए रखा
बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह का पराक्रम ऐसा कि जीते जी न तो उन्होंने ब्रिटिश गुलामी को स्वीकार किया और न ही सोनाखान पर अंग्रेजी हुकूमत कायम होने दी। 1857 में अंग्रेज हुक्मरानों ने उन्हें षड्यंत्र पूर्वक गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, दो दिसंबर को वीर नारायण सिंह को फिर से अंग्रजों ने पकड़ लिया।
वीर नारायण सिंह को अंग्रेज पकड़कर रायपुर लाए और राजद्रोह का आरोप लगाकर कोर्ट में पेश किया। जज ने 10 दिसंबर को फांसी देने का फैसला सुनाया। अंग्रेज उनसे इतना डरे हुए थे कि उन्हें 6 दिनों तक फांसी पर लटकाए रखने के बाद बाद में उनके पार्थिव शरीर को तोप से उड़ा दिया गया।