India-China Border
भारत और चीन के बीच एलएसी पर अब तनाव कम होते दिखने लगे हैं। लंबी बातचीत और डिप्लाेमैटिक चर्चाओं के बाद, भारतीय सेना को देपसांग,डेमचोक और फिंगर पॉइंट में दोबारा गश्त शुरू करने का अधिकार मिल गया है। यह न केवल भारत के लिए सैन्य मोर्चे पर बड़ी जीत है बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पेट्रोलिंग के लिए सहमत हो चुके हैं। एलएसी पर शांति के प्रयासों की दिशा में यह एक तरह से पहला कदम है। जहां से अब चीनी सेना को पीछे हटना है।
भारत ने चीन के साथ सामान्य संबंध बनाने के लिए यह शर्त रखी थी कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को उन इलाकों से हटना होगा, जहां उसने साढ़े चार साल पहले अतिक्रमण किया था। इन इलाकों में भारत की सेना को 2020 में गश्त करने से रोक दिया गया था। चीनी ने यहां अपने सैनिकों की तैनाती कर दी थी। अब, भारतीय सेना को यहां अपनी गश्त फिर से शुरू करने का अधिकार मिल गया है।
India-China Border
चीनी सैनिकों ने कई इलाकों पर कर लिया था कब्जा
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में पीएलए ने कई ऐसे इलाकों पर कब्जा कर लिया था जिन पर भारतीय सेना वर्षों से गश्त कर रही थी। चीनी सेना ने देपसांग के बल्ज क्षेत्र में एंट्री के रास्ते को ब्लॉक कर दिया। चीन ने पूर्वी लद्दाख के जीवन और राकी नाला पर भारी संख्या में सेना तैनात कर दिया।
देपसांग बल्ज (गश्त बिंदु 10 से 13) में भारतीय सेना की गश्त को रोक दिया। चीनी सेना ने सीएनएन जंक्शन पर भी अपने सैनिकों को तैनात किया। इसका नतीजा यह हुआ कि इंडियन आर्मी पूर्वी लद्दाख में उन सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स को कवर नहीं कर सकी, जिन्हें कैबिनेट सचिव ने 1976 में तय किया था।
बता दें कि एलएसी के ये वे इलाके हैं, जहां पर चीन और भारत दोनों के दावे हैं। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना के जवान सभी इलाकों में गश्त करेंगे और महीने में दो बार गश्त की जाएगी।
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