India Canada Row
नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के संदर्भ में भारत व कनाडा के बीच चल रहा कूटनीतिक विवाद के कारण अब दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट लगातार बढ़ती जा रही है। कनाडा ने आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय राजनयिक की तरफ उंगली उठाई तो भारत ने इसे बर्दाश्त से बाहर बताते हुए अपने कुछ उच्चायुक्त को वापस बुला लिया।
बता दें कि सोमवार को कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ में शामिल किया। जिसका सीधा अर्थ होता है, पुलिस को लगता है कि वह किसी अपराध में शामिल हो सकता है। हालांकि, पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती, लेकिन उसे जांच के दायरे में रखा जा सकता है। बता दें कि यह मामला रविवार से काफी पहले साल 2015 में शुरू हुआ था।
India Canada Row
जब ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे। वे 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की सफल यात्रा के बाद सत्ता में आए। वहीं अब भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त समेत छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। और उन्हें 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने को कहा गया है। वहीं अब इस पूरे मामले पर विदेश नीति विशेषज्ञों ने भारत के आंतरिक मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप की जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने खालिस्तानी तत्वों का समर्थन करने वाले कनाडाई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और दूतावासों की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत-कनाडा रिश्तों में कड़वाहट का टाइमलाइन
जब से जस्टिन ट्रूडो जब 2015 में कनाडा के प्रधानमंत्री बने तब से ही भारत के साथ कनाडा के रिश्तों में खटास आने लगी थी। ट्रूडो से पहले के कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भारत के साथ अच्छे संबंध बना रखे थे, लेकिन ट्रूडो ने भारत के प्रति उदासीनता दिखाई। जिसके बाद से भारत और कनाडा के बीच संबंध धीरे-धीरे खराब होने लगे।
India Canada Row
ट्रूडो की खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरम नीति और जगमीत सिंह के साथ गठबंधन से यह तनाव और बढ़ा। 2018 में ट्रूडो की विवादित भारत यात्रा के बाद से संबंधों में खटास और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी। 2020 में किसान आंदोलन पर ट्रूडो की टिप्पणी ने भी तनाव को और बढ़ाया। 2023 में हरदीप निज्जर की हत्या और ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बुरी तरह से प्रभावित किया।
भारत विरोधी बयान का भी जिक्र
- वर्ष 2018 में ट्रूडो की भारत यात्रा का जिक्र भी किया गया है, जिसका इस्तेमाल ट्रूडो ने कनाडा चुनाव में अपनी छवि चमकाने के लिए किया था।
- विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ट्रूडो ने अपनी कैबिनेट में भारत के खिलाफ अलगाववाद व अतिवाद का समर्थन करने वालों को जगह दी।
- दिसंबर 2020 में ट्रूडो द्वारा दिए गए एक भारत विरोधी बयान का भी जिक्र किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अब भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाना इसी सोच की अगली कड़ी है।
India Canada Row
2010-2015 दोनों देशों के रिश्तों की मज़बूती
- 2010: कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के कार्यकाल में भारत-कनाडा संबंध मजबूत हुए। मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा शुरू हुई।
- 2011: कनाडा ने 2011 को ‘भारत का वर्ष’ घोषित किया, जो भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की इच्छा को दर्शाता था।
- 2015: कनाडा ने भारत को यूरेनियम बेचने के लिए एक परमाणु समझौता किया। हार्पर के कार्यकाल में भारत-कनाडा संबंध बहुत मजबूत हो गए थे।
- 2015: जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने। लेकिन उन्होंने भारत को प्राथमिकता नहीं दी। जिसके बाद ऐसा लग रहा था कि भारत-कनाडा संबंध ठप हो गए हैं। वहीं कुछ लोगों ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारत पर ध्यान देने के बजाय चीन को ज्यादा महत्व दिया।
- 2018: वहीं 2018 में भारत और कनाडा के संबंध सुधारने के उद्देश्य से ट्रूडो ने भारत की यात्रा की, लेकिन यात्रा विवादास्पद रही क्योंकि खालिस्तानी आतंकवादी जस्पाल अटवाल को कनाडा के एक राजनयिक कार्यक्रम में निमंत्रण दिया गया था। बाद में यह निमंत्रण रद्द कर दिया गया, लेकिन इस घटना ने भारत में नाराजगी पैदा की।
- 2020: वहीं साल 2020 में एक बार फिर ट्रूडो ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर टिप्पणी की, जिससे भारत ने नाराजगी जताई।
- 2021: साल 2021 में ट्रूडो की पार्टी ने जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन किया, जो खालिस्तानी समर्थक माने जाते हैं। सिंह के भारत विरोधी रुख के कारण तनाव और बढ़ गया।
- 2022-2023: इस साल कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर तनाव बढ़ने लगा। भारतीय दूतावासों के बाहर खालिस्तानी प्रदर्शन हुए और भारत नाराज हुआ कि कनाडा ने इन समूहों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए। वहीं खालिस्तानी नेता हरदीप निज्जर की कनाडा में हत्या कर दी गई। भारत पहले से ही कनाडा से खालिस्तानी समूहों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बिच का तनाव और बढ़ गया। जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि हरदीप निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों ने ही है। ट्रूडो के इस चौंकाने वाले बयान से राजनयिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। जिसके बाद भारत ने इन आरोपों को सख्ती से नकार दिया और दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। और कनाडा अपने आरोपों को लेकर ठोस सबूत देने में असफल रहा जिसके बाद से यह तनाव और बढ़ गया।