Heat Wave alert News Update
रायपुर। आने वाले दिनों में आपको भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक 2024 के गर्मियों के मौसम (अप्रैल से जून) के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं न्यूनतम तापमान भी सामान्य से ज्यादा रहेगा।
अप्रैल महीने में मध्य पूर्वी और उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में हीटवेव चलने की संभावना जताई गई है। भारत में इस साल बीते सालों के मुकाबले तेज गर्मी पड़ने की संभावना है, इसे देखते हुए ही हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गर्मी से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक की थी।
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8 से 12 दिन तक हीट वेव का रिकॉर्ड दर्ज
साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक क्लाई मेट यानी जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में हीट वेव के दिनों में बढ़ोतरी देख जा रही है। लिहाजा उत्तरी गोलार्द्ध गर्मी और हीट वेव का असर तेज दिखाई देगा। इससे पहले 1979 से 1983 तक, पूरी दुनिया में हीट वेव औसतन आठ दिनों तक चलती थीं, लेकिन 2016 से 2020 तक यह 12 दिनों तक बढ़ गई हैं।
अमेरिका की यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी में हुआ रिसर्च
वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में पाया कि गर्मी बढ़ने के चलते पूरी दुनिया में मैसम के चक्र बदल रहा है। अमेरिका की यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिसर्च के को राइटर वेई झांग कहते हैं, ”इस रिसर्च से साफ पता चलता है कि हीटवेव तेजी से बढ़ रही है। आने वाले समय में आम लोगों को काफी लम्बे समय तक भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। 1979 से अब तक हीटवेव की तीर्वता में 67 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं हीटवेव के तहत चलने वाली गर्म हवाओं की गति 20 फीसदी तक घट चुकी है।
रिसर्च में हीटवेव की बढ़ती तीर्वता के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और बढ़ते प्रदूषण को जिम्मेदार बताया गया है। माना जा रहा है कि आने वाले 40 साल पहले की तुलना में हीटवेव से गर्मी की वाले इलाकों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाएगी।
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अर्बन हीट आइलैंड जैसी संभावनाएं ज्यादा
IMD के मुताबिक 2024 के अप्रैल से जून के दौरान हीटवेव और सामान्य से अधिक गर्मी को ध्यान में रखते हुए विशेष तौर पर बुजुर्गों और बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। जिन लोगों को गर्मी में ज्यादा थकावट लगती है या जो हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के लिए संवेदनशील हैं उन्हें विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। IMD के अनुसार इस साल बिजली ग्रिड और सार्वजनिक परिवहन पर दबाव बढ़ने की संभावना है। शहरी क्षेत्रों में अर्बन हीट आइलैंड जैसी संभावनाओं को ध्यान रखते हुए विशेष तौर पर इंतजाम किए जाने की जरूरत है।
बुजुर्गों और बच्चों की बढ़ी मुश्किल
जलवायु परिवर्तन ने बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसा लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा हैं। बदलते पर्यावरण का सबसे ज्यादा असर 65 साल से ज्यादा उम्र के वयस्कों और एक साल से कम उम्र के शिशुओं पर पड़ा है जो विशेष रूप से बढ़ती गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं।
लैंसेट की रिपोर्ट कहती है, गर्मी बढ़ने से मौतें बढ़ रही हैं और आगे भी बढ़ सकती हैं। इस समस्या से निपटने के लिए हमें एक दीर्घकालिक हीट वेव एक्शन प्लान बनाना होगा। इस प्लान के तहत एक तरफ जहां हीट वेव से प्रभावित लोगों के लिए इमरजेंसी हेल्थ सर्विस के इंतजाम करने होंगे वहीं दूसरी तरफ शहरों में गर्मी को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाने होंगे।
जानें हीट वेव के दौरान का कहां कैसा असर
- 40 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच अगली गर्मी की लहर के लिए तैयार रहें।
- बाहर की धूप से घर आने पर कमरे के तापमान का पानी हमेशा धीरे-धीरे पियें।
- चिल्ड यानी एकदम ठंडा या बर्फीला पानी पीने से बचें!, बाहर बर्फ युक्त पेय न पियें
- सबसे ज्यादा हीटवेव का असर मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर में अनुभव कर रहे हैं।
ये हैं क्या करें और क्या न करें:
1. डॉक्टर सलाह देते हैं कि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने पर बहुत ठंडा पानी न पिये, क्योंकि इससे हमारी छोटी रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं।
इसे ऐसे समझें- एक डॉक्टर का दोस्त बहुत गर्मी से घर आया – उसे बहुत पसीना आ रहा था और वह जल्दी से खुद को ठंडा करना चाहता था – उसने तुरंत अपने पैर ठंडे पानी से धोए… इसके बाद वो अचानक से गिर गया और उसे अस्पताल ले जाया गया।
2. जब बाहर गर्मी 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए और जब आप घर आएं तो ठंडा पानी न पियें। पानी नार्मल लें और धीरे-धीरे ही पिएं।
ये सावधानी जरूरी- अगर आपके हाथ या पैर तेज धूप के संपर्क में हैं तो उन्हें तुरंत न धोएं। धोने या स्नान करने से पहले कम से कम आधे घंटे तक प्रतीक्षा करें।