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Thursday, July 24, 2025

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Hareli Tihar 2025: छत्तीसगढ़ का प्रमुख “हरेली” आज, जानिए क्यों है इतना ख़ास, पढ़ें इतिहास और महत्व

 

Hareli Tihar 2025: “हरेली” छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पारंपरिक त्यौहार है, जो विशेष रूप से किसानों और खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हरियाली अमावस्या के दिन मनाया जाता है श्रावण मास की अमावस्या तिथि को जो वर्षा ऋतु के बीच आता है। “हरेली” शब्द का अर्थ होता है “हरियाली” या “हरापन”, जो धरती की उपजाऊता, हरियाली और कृषि समृद्धि का प्रतीक है.

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हरेली पर्व की परंपरा बहुत पुरानी है, जो आदिवासी और ग्रामीण संस्कृति से जुड़ी हुई है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा, झारखंड और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह विशेष रूप से लोकप्रिय है।

Hareli Tihar 2025: यह त्योहार कृषि यंत्रों, पशुओं, और भूमि की पूजा से जुड़ा है किसानों द्वारा अपने औजारों (हल, फावड़ा, गैंती, कुदाली आदि) की सफाई कर उनका पूजन किया जाता है,यह त्यौहार मानसून के मध्य आता है, जब खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं,परंपरागत रूप से यह त्यौहार खेती की शुरुआत या मध्य बिंदु का प्रतीक माना जाता है हरेली की पूजा कृषि औजार, पशु, और ग्राम देवताओं की होती है। यह पूजा ग्रामीण और पारंपरिक विधि से बड़े श्रद्धा और सादगी के साथ की जाती है.

First Lok Tihar of Chhattisgarh: Hareli Tihar

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Hareli Tihar 2025: पूजा से पहले किसान अपने खेत में उपयोग होने वाले सभी औजार (हल, कुदाली, गैंती, फावड़ा, दरांती आदि) को अच्छे से धोते और साफ करते हैं इन्हें आम या नीम के पत्तों से सजाया जाता है,गोबर से बने चौक (आकृति) के बीच इन औजारों को रखकर पूजा की जाती है, हल्दी, चावल, फूल, दूर्वा (घास), दीपक और अगरबत्ती से इनका पूजन किया जाता है औजारों पर टीका लगाकर उन्हें खेत की देवी या ‘किसानी माता’ के प्रतीक रूप में पूजा जाता है.

 

Hareli Tihar 2025: विशेष रूप से बैल, गाय, और बैलगाड़ी के जानवरों को नहलाया जाता है,उनके सींगों में रंग लगाए जाते हैं, हार-पट्टियाँ पहनाई जाती हैं, उनके सामने दीप जलाकर, रोली-चावल से आरती की जाती है,उन्हें विशेष रूप से बना चना-गुड़ या खिचड़ी खिलाई जाती है. वहीं गाँव के ग्राम देवता जैसे बूढ़ादेव, ठाकुर देव, दीवान देव आदि की पूजा सामूहिक रूप से होती है सामूहिक भोज या भंडारे का आयोजन भी होता है.

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