Hanuman Jayanti 2025
रायपुर। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को संपूर्ण भारतवर्ष में हनुमान जयंती का पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह दिन कोई साधारण तिथि नहीं, बल्कि एक ऐसे दिव्य बालक के जन्म का प्रतीक है जिसने अपने बल, बुद्धि और भक्ति से त्रिलोक को चमत्कृत कर दिया।
अंजनी का वरदान और एक दिव्य बालक का जन्म
बहुत समय पहले की बात है। स्वर्गलोक की एक सुंदर अप्सरा थीं अंजना। नृत्य में निपुण, स्वर में मधुर और हृदय में निर्मल भक्ति रखने वाली अंजना को एक बार एक ऋषि ने श्राप दे दिया कि वह धरती पर जन्म लेंगी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि जब वह एक विशेष संतान को जन्म देंगी, तभी इस श्राप से मुक्ति मिलेगी।
धरती पर जन्म लेने के बाद अंजना ने राजा केसरी से विवाह किया, जो सुमेरू पर्वत के अधिपति थे। परंतु उनका मन अभी भी श्राप से मुक्ति की कामना में डूबा था। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर पवन देव और भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया, और एक दिन अंजना ने एक दिव्य तेजस्वी बालक को जन्म दिया। उस बालक का नाम रखा गया हनुमान।
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बाल लीला: जब सूरज को फल समझकर निगल लिया
हनुमान जी बचपन से ही बहुत चंचल और बलशाली थे। एक दिन सुबह-सुबह उन्होंने आकाश में लाल रंग का उगता सूरज देखा। उन्हें वह एक लाल फल जैसा लगा — और जैसे ही बालक हनुमान ने उछाल मारी, वो सीधे सूर्य की ओर उड़ चले और उसे निगल लिया। अंधकार फैल गया। धरती, आकाश, स्वर्ग सब ओर हाहाकार मच गया।
इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी को प्रहार किया। बाल हनुमान गिर पड़े और मूर्छित हो गए। ये देखकर पवन देव दुख से भर गए और उन्होंने सांसों का बहाव रोक दिया।
अब सांस न चले तो जीवन कैसे चले? पूरी सृष्टि थम गई। तब सभी देवी-देवता मिलकर ब्रह्मा जी के साथ आए और उन्होंने बाल हनुमान को जीवनदान दिया। इसके साथ ही सभी देवताओं ने उन्हें अनेकों वरदान भी दिए — ब्रह्मा से अजेयता, विष्णु से तेज, शिव से अमरता, वरुण से निर्भयता।
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हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है?
जिस दिन हनुमान जी को दोबारा जीवन मिला और उन्हें इतने सारे दिव्य वरदान मिले वही दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी। यही दिन आगे चलकर हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, हवन और व्रत करके भगवान हनुमान की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है:
- चैत्र पूर्णिमा – उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है।
- कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी – दक्षिण भारत में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि कुछ परंपराओं में हनुमान जी का जन्म इसी दिन माना गया है।
पूजा का विशेष मुहूर्त – भक्तों ने साधा ध्यान
- पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7:34 से 9:12 तक और
- दूसरा मुहूर्त शाम 6:46 से रात 8:08 तक।
इन दोनों समयों में भक्तों ने विधिवत हनुमान जी का अभिषेक किया, लाल चोला चढ़ाया और सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़ और केले का भोग अर्पित किया।
Hanuman Jayanti 2025
हनुमान जयंती पूजा विधि
- पवित्र स्नान करें: पूजा शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इससे मानसिक शुद्धि होती है और पूजा में एकाग्रता बनी रहती है।
- स्थल की सफाई करें: पूजा करने की जगह को स्वच्छ करें और वहां आटे या चावल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
- हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें: यदि आपके पास हनुमान जी की मूर्ति या चित्र हो, तो उसे पूजा स्थान पर स्थापित करें। अगर मूर्ति नहीं है, तो हनुमान जी के चित्र का भी पूजन किया जा सकता है।
- दीपक और अगरबत्तियाँ लगाएं: पूजा स्थल पर दीपक और अगरबत्तियाँ लगाएं। यह वातावरण को शुद्ध करते हैं और पूजा में वातावरण की शांति बनाए रखते हैं।
- हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ: हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान चालीसा का पाठ
- यह 40 श्लोकों का संकलन है जो हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है।
- इसे पूरे ध्यान से और भक्तिपूर्वक पढ़ें।
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सुंदरकांड का पाठ
- यह रामायण का एक भाग है जो हनुमान जी की वीरता और भक्ति का बखान करता है।
- इसे भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ना चाहिए।
- फल, फूल, चंदन और सिंदूर चढ़ाएं: हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना विशेष महत्व रखता है। इसके साथ ही उन्हें मिठाई, फल, गुड़, और चने चढ़ाएं। इसके अलावा, चंदन और लाल फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
- हनुमान जी की आरती करें: पूजा के बाद हनुमान जी की आरती करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी संकट दूर होते हैं।
- प्रसाद वितरण करें: पूजा के अंत में जो प्रसाद तैयार किया गया हो, उसे परिवारजनों और मित्रों में वितरित करें।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
- इस दिन व्रत रखें और केवल सात्विक आहार लें।
- हनुमान जी को तेल और सिंदूर चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- हनुमान जयंती का दिन विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसलिए इस दिन हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास का भाव रखना चाहिए।