Guru Purnima 2024
रायपुर। आज गुरु -शिष्य परंपरा का पुनीत पर्व गुरु पूर्णिमा है । गुरु के समक्ष विनयावनत होकर उनके प्रति अटूट श्रद्धा और आदर की अभिव्यक्ति का यह पुनीत पर्व आज सारे देश में मनाया जा रहा है। धर्मग्रंथों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने दक्षिणामूर्ति के रूप में ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों को वेदों का ज्ञान प्रदान किया था। भारत देश में सदियों से गुरु- शिष्य की परंपरा को निभाया जाता है।
ज्ञान के बदले शिष्य अपने गुरु को दक्षिणा के रूप में कुछ न कुछ जरूर देते हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहा एकलव्य ने अपने गुरु को दक्षिणा में अपना अंगूठा दिया था। यह परंपरा हमारे देश में आज भी बरकरार है। आइए जानते हैं क्या है गुरु दीक्षा और हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि शनिवार की शाम 6 बजे से शुरू हो गई थी। यह रविवार की दोपहर 3.47 बजे तक रहेगी। सूर्योदय तिथि 21 जुलाई को है, इसलिए यह पर्व उसी दिन मनाया जाएगा। यह पर्व अपने गुरु के प्रति आस्था प्रकट करने का अवसर है।
Guru Purnima 2024
इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व सर्वार्थ सिद्धि, प्रीति योग, उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्रों के महासंयोगों के साथ मनाया जाएगा। इसी दिन से संन्यासी चातुर्मास का प्रारंभ भी होगा, जो विशेष महत्व रखता है। वैसे तो भारत देश में प्रत्येक पूर्णिमा का अपना महत्व होता है लेकिन गुरु पूर्णिमा पर की गई पूजा, उपवास व दान-पुण्य बहुत पुण्यदायी माने जाते हैं।
इस पावन दिन शिष्य अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन उनके पास जाते हैं और उनकी चरण वंदना करते है। यह दिन केवल शैक्षिक गुरुओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाले सभी गुरुओं के प्रति समर्पित है। इस दिन गुरु मंत्र लेने की भी परंपरा है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु को दिया है।
Guru Purnima 2024
सम्राट चंद्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य, शिवाजी महाराज ने समर्थ गुरु रामदास , और स्वामी विवेकानन्द ने रामकृष्ण परमहंस का शिष्य बन कर ही अखिल विश्व में अपार यश और कीर्ति अर्जित की। इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से भरा पड़ा है। गुरु के अंदर मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने की सामर्थ्य होती है। गुरु ही अपने शिष्य का ईश्वर से साक्षात्कार कराता है इसीलिए तो कहा गया है कि-
- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागूं पाय ,
बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताय।
गुरु पूर्णिमा का महत्व और कथा
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं। गुरु का स्थान सर्वोच्च माना जाता है और उन्हें भगवान से भी उच्च स्थान दिया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, व्यास पूर्णिमा के दिन भगवान परशुराम ने अपने गुरु महर्षि जमदग्नि की पूजा की थी, इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।