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Green Soul : फेंके हुए जूतों से खड़ा किया विशाल कारोबार…! बाजार भाव से सस्ते मगर टिकाऊ का दावा…अब करोड़ों का टर्नओवर…यहां देखें

Green Soul: Built a huge business with discarded shoes...! Claims to be cheaper than market price but durable...now turnover of crores...see here

Green Soul

मुंबई, 14 सितंबर। Green Soul : कहानी किसी फिल्म जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। मुंबई में दो अनजान लोग मिले, दोस्ती हुई और फिर एक ऐसा सामाजिक कारोबार खड़ा किया जो न सिर्फ जरूरतमंदों को राहत दे रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी मिसाल बन गया है।

हम बात कर रहे हैं रमेश धामी (29) और श्रीयांश भंडारी (30) की, जिन्होंने मिलकर ‘ग्रीन सोल फाउंडेशन’ नाम से एक अनोखी संस्था की शुरुआत की, जहां पुराने, बेकार और टूटी-फूटी चप्पलों और जूतों को रीसायकल करके दोबारा उपयोग लायक बनाया जाता है।

बेकार जूतों को बनाया नया

रमेश धामी उत्तराखंड से हैं और एक समय में मुंबई में एक्टर बनने का सपना लेकर आए थे। उन्हें मैराथन दौड़ने का शौक था, लेकिन बार-बार जूते धोखा दे जाते। एक बार उन्होंने महंगे ब्रांडेड जूते खरीदे, लेकिन वो भी जल्दी खराब हो गए। तब रमेश ने देसी जुगाड़ से खराब जूतों को खुद ठीक किया और महीनों तक चलाया।

इसी दौरान उनकी मुलाकात हुई श्रीयांश भंडारी से, जो राजस्थान के उदयपुर से बीएमएच की पढ़ाई के लिए मुंबई आए थे। रमेश ने उन्हें अपना आइडिया बताया और फिर दोनों ने मिलकर 2016 में ग्रीन सोल की नींव रखी।

आंकड़े चौंकाते हैं

हर साल दुनिया में 35,000 करोड़ जूते कचरे में फेंक दिए जाते हैं। वहीं, 1.25 करोड़ लोगों को जूतों की जरूरत है, लेकिन वे खरीद नहीं सकते। ग्रीन सोल ने अब तक 8 लाख से अधिक जूते-चप्पल रिसायकल कर डिलीवर किए हैं। इनका लक्ष्य है, “हर जरूरतमंद के पांव में जूते पहुंचें, और पर्यावरण पर भार कम हो।”

बाजार भाव से सस्ते मगर टिकाऊ

ग्रीन सोल द्वारा बनाए गए जूते-चप्पल, बैग और मेट (चटाई) बाजार में बिकते हैं, लेकिन बहुत कम दामों पर। ये प्रोडक्ट्स खास तौर पर सरकारी स्कूलों, अनाथ आश्रमों और ग्रामीण इलाकों में भेजे जाते हैं। हर महीने लगभग 25,000 लोग इनका उपयोग करते हैं। गंदे और टूटी हालत में फेंके गए जूते भी, इन कारीगरों की मेहनत से नई पहचान पाते हैं।

समाज सेवा से शुरू व्यापार अब करोड़ों का टर्नओवर

आज यह पहल सिर्फ एक सामाजिक सेवा नहीं, बल्कि एक सफल स्टार्टअप बन चुकी है। रमेश और श्रीयांश दोनों आज करोड़ों रुपये का टर्नओवर कर रहे हैं। फिर भी उनका मकसद मुनाफा नहीं, बल्कि “वेस्ट टू वैल्यू” और “हेल्प द नीडी” का मिशन है।

सामाजिक बदलाव

ग्रीन सोल न सिर्फ पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैला रहा है, बल्कि गरीबों के लिए सम्मानजनक जीवन, रोजगार के अवसर, रीसायकलिंग को बढ़ावा जैसे पहलुओं को भी साथ लेकर चल रहा है।

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