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GHIBLI STYLE IMAGES : GPT-4o की Ghibli इमेजेज ने मचाया तहलका! ओपनएआई CEO ने की यूज़र्स से संयम रखने की अपील

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सोशल मीडिया पर इन दिनों Ghibli-स्टाइल इमेज बनाने और शेयर करने का जबरदस्त क्रेज़ देखने को मिल रहा है। यह ट्रेंड ओपनएआई के लेटेस्ट एआई मॉडल GPT-4o के लॉन्च के बाद शुरू हुआ, जिससे साधारण टेक्स्ट प्रोम्प्ट के जरिए स्टूडियो घिबली की प्रतिष्ठित एनीमेशन स्टाइल में इमेज तैयार की जा सकती हैं। हालांकि, इस बढ़ती लोकप्रियता ने ओपनएआई की टीम और उसके सर्वर्स पर जबरदस्त दबाव बना दिया है।

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ओपनएआई के सीईओ की अपीलइस भारी लोड को देखते हुए, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने 30 जनवरी 2025 को अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने लिखा, “क्या आप लोग कृपया इमेज जनरेट करने में थोड़ी कमी कर सकते हैं? यह पागलपन है, हमारी टीम को आराम की जरूरत है।” उनकी इस अपील से साफ झलकता है कि Ghibli-स्टाइल इमेजेज का यह ट्रेंड कंपनी के संसाधनों पर भारी पड़ रहा है।

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ओपनएआई पर बढ़ता लोडऑल्टमैन के पोस्ट के जवाब में कई यूज़र्स ने मज़ाकिया प्रतिक्रियाएँ दीं, तो कुछ ने चिंता भी जताई। इसके बाद, ओपनएआई ने अस्थायी रूप से यूज़र्स के लिए इमेज जनरेशन की सीमा निर्धारित कर दी, ताकि सर्वर पर दबाव को कम किया जा सके। फ्री यूज़र्स अब प्रतिदिन केवल तीन इमेज ही बना पाएंगे।

कॉपीराइट विवाद भी उभराइस ट्रेंड के बढ़ते प्रभाव के साथ ही, स्टूडियो घिबली के सह-संस्थापक हयाओ मियाज़ाकी द्वारा एआई-जनरेटेड कला को लेकर उनकी असहमति भी फिर से चर्चा में आ गई है। कई विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं कि क्या ओपनएआई ने Ghibli-स्टाइल इमेज तैयार करने के लिए मियाज़ाकी की कलाकृतियों का अनुमति के बिना उपयोग किया है।

सेलिब्रिटीज़ और राजनेताओं का भी क्रेज़सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर Ghibli-स्टाइल इमेजेज की बाढ़ सी आ गई है। सेलेब्रिटीज़ से लेकर राजनीतिज्ञों तक, हर कोई अपनी AI-जनरेटेड Ghibli इमेज शेयर कर रहा है, जिससे यह ट्रेंड और भी तेज़ी से वायरल हो रहा है।

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ओपनएआई की अगली रणनीति?भले ही यह ट्रेंड सोशल मीडिया पर पॉज़िटिविटी फैला रहा हो, लेकिन ओपनएआई को अपने सर्वर्स और संसाधनों को संतुलित करने के लिए जल्द ही नए कदम उठाने पड़ सकते हैं। साथ ही, कॉपीराइट से जुड़े मुद्दों को लेकर भी कंपनी को स्पष्ट नीति अपनाने की जरूरत हो सकती है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि एआई की दुनिया में नई टेक्नोलॉजीज़ कितनी जल्दी पॉपुलर हो सकती हैं, लेकिन इससे जुड़े तकनीकी और नैतिक मुद्दों पर विचार करना भी उतना ही ज़रूरी हो जाता है।

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