Ghaziabad Siroli Village
गाज़ियाबाद। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में गुस्से और दुख का माहौल बना हुआ है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी इलाके स्थित सिरौली गांव से एक चिंताजनक वीडियो सामने आया है। वीडियो में कुछ गांव के युवा मुस्लिम फेरीवालों को गांव में आने से मना करते दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना है कि गांव में अब किसी भी मुस्लिम फेरीवाले को एंट्री नहीं दी जाएगी।
वीडियो में करीब पांच से छह युवक साफ तौर पर कहते दिखते हैं कि अगले दिन सुबह 11 बजे गांव के गेट पर सभी लोग इकट्ठा होंगे और मुस्लिम फेरीवालों की एंट्री को रोका जाएगा। इसके बाद वे धार्मिक नारे भी लगाते हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इस पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
Ghaziabad Siroli Village
इस घटना के बाद माहौल और ज्यादा संवेदनशील हो गया है, वहीं राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। बीजेपी नेता और मंत्री नितेश राणे ने एक विवादास्पद बयान देते हुए लोगों से अपील की कि वे खरीदारी से पहले दुकानदार का नाम पूछें। इस बयान से मामला और गरमा गया है।
ऐसे मामलों से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। कई इलाकों से मुस्लिमों के सामाजिक और व्यावसायिक बहिष्कार की खबरें भी आ रही हैं, जो कानून और संविधान के खिलाफ हैं।
Ghaziabad Siroli Village
पहले भी हुए ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। इससे पहले भी कई राज्यों से इस तरह की खबरें आई हैं, जहां कुछ लोगों ने मुस्लिम विक्रेताओं, फेरीवालों या कारीगरों का बहिष्कार करने की कोशिश की है। कई बार इसे धार्मिक भावनाओं के नाम पर किया गया है, लेकिन कानून की दृष्टि से यह पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है।
कानूनी और सामाजिक पहलू
भारत का संविधान धर्म, जाति, लिंग, या क्षेत्र के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को गैरकानूनी मानता है। किसी भी समूह के साथ इस प्रकार का सामाजिक बहिष्कार न केवल संवैधानिक अधिकारों का हनन है, बल्कि यह सांप्रदायिक सद्भावना के लिए भी खतरा है।
समाज में असर और चिंता
इस प्रकार के वीडियो और बयान समाज में भय, अविश्वास और नफरत का माहौल बना सकते हैं। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर लोग दो खेमों में बंट गए हैं — एक पक्ष इसका समर्थन करता दिख रहा है, वहीं दूसरा पक्ष इसे खतरनाक और गैर-कानूनी बता रहा है।