Ghazi Salar Masud Controversy
संभल/बहराइच। उत्तर प्रदेश में इस समय सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होने वाले मेलों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। गौरतलब है कि यह विवाद संभल से शुरू होकर अब बहराइच स्थित दरगाह तक पहुँच गया है। जहां एक पक्ष सालार मसूद गाजी को सूफी संत बताते हुए मेले के आयोजन की अनुमति की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा पक्ष उसे आक्रमणकारी करार देते हुए विरोध में उतर आया है। इस मुद्दे ने प्रदेश की सियासत में भी हलचल मचा दी है।
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कौन था सैयद सालार मसूद गाजी?
इतिहासकारों के अनुसार सैयद सालार मसूद गाजी गजनी के आक्रमणकारी महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। ऐसा माना जाता है कि वह दिल्ली, मेरठ, कन्नौज और बाराबंकी तक हमला करता हुआ पहुँचा था। 1034 ईसवी में कौशल के राजा सुहेलदेव ने बहराइच में उसे युद्ध में पराजित कर मार डाला था। उसकी दरगाह बहराइच में स्थित है, जहां हर साल ‘जेठ मेला’ लगता रहा है।
Ghazi Salar Masud Controversy
नेजा मेले का विवाद
बता दें कि संभल में हर साल नेजा मेले का आयोजन किया जाता है, जो मसूद गाजी की याद में होता है। नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी के अनुसार यह मेला एक ऐतिहासिक युद्ध की स्मृति में लगता है, जिसमें मसूद गाजी ने पृथ्वीराज चौहान के पुत्र से युद्ध किया था। इस युद्ध में मारे गए उसके साथियों की मजारों के पास यह मेला आयोजित होता है।
हालांकि, 2024 में प्रकाशित मुरादाबाद मंडल के गजेटियर में इस मेले से जुड़े कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिले हैं। गजेटियर में सालार गाजी और पृथ्वीराज चौहान के कालखंड को अलग-अलग बताया गया है, जिससे इस कहानी की प्रामाणिकता पर सवाल उठते हैं।
प्रशासन ने मेले पर क्यों लगाई रोक?
वहीं इस वर्ष संभल प्रशासन ने नेजा मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। पुलिस के अनुसार सैयद सालार मसूद गाजी एक लुटेरा और हत्यारा था, जिसकी स्मृति में मेला लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ASP श्रीश चंद्र ने स्पष्ट कहा कि यदि किसी ने जबरन मेला लगाने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “अज्ञानता में यह मेला लगाया जाता रहा है तो अज्ञानी हो, और यदि जानबूझकर लगाया गया है तो देशद्रोही हो।”
Ghazi Salar Masud Controversy
कानून-व्यवस्था का खतरा
तो वहीं मेले के आयोजन को लेकर दूसरे समुदाय के लोगों ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। प्रशासन ने आशंका जताई है कि मेले के आयोजन से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। वहीं, इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है, और विभिन्न दलों के नेता अपने-अपने बयान देकर आग में घी डाल रहे हैं।
बता दें कि सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर शुरू हुआ यह विवाद इतिहास, आस्था और प्रशासनिक सख्ती के बीच उलझ गया है। जहां एक ओर धार्मिक मान्यता के नाम पर मेले की मांग हो रही है, वहीं दूसरी ओर कानून व्यवस्था और इतिहास की दुहाई देकर इसे रोका जा रहा है। इस विवाद का समाधान अब प्रशासनिक फैसले और जन भावना के संतुलन पर निर्भर करेगा।
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