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Tuesday, October 14, 2025

Bharatmala Project Scam : भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले में बड़ा खुलासा…! EOW की विशेष कोर्ट में 7600 पन्नों का चालान पेश…यहां देखें Video

रायपुर, 13 अक्टूबर। Bharatmala Project Scam : छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले से जुड़ी बड़ी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW)...

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Ganesh Utsav : 50, 100, 200 और 500 रुपये के करोड़ों नोटों से सजा ‘लंबोदर’…! उमड़ा भक्तों का सैलाब…यहां देखें

नई दिल्ली, 03 सितंबर। Ganesh Utsav : राजस्थान की लेकसिटी उदयपुर इन दिनों गणेश महोत्सव के उल्लास में सराबोर है। हर साल की तरह इस बार भी ‘उदयपुर चा राजा’ की भव्य प्रतिमा और उसका नोटों से किया गया अलौकिक श्रृंगार पूरे शहर की आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
बापू बाजार स्थित श्री स्वास्तिक विनायक गणपति मंडल की ओर से स्थापित की गई 17 फीट ऊंची भगवान गणेश की प्रतिमा इस बार खास इसलिए भी है क्योंकि इसका श्रृंगार 50, 100, 200 और 500 रुपये के 1 करोड़ 51 लाख की राशि वाले असली नोटों से किया गया है।
श्रृंगार को तैयार करने के लिए मुंबई से आई आठ सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने पिछले पांच दिनों तक लगातार कार्य किया। यह नयनाभिराम आंगी न केवल भक्ति भाव को दर्शाती है, बल्कि भक्तों को चकित भी कर रही है।
मंडल के सदस्यों के अनुसार, इस विशेष श्रृंगार की शुरुआत 5 लाख 55 हजार 555 रुपये से हुई थी, जो हर वर्ष भक्तों के सहयोग से बढ़ती चली गई। पिछले वर्षों में यह राशि क्रमश, 7,77,777, 11,11,111 से बढ़ते हुए इस साल 1.51 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
यह पूरी राशि मंडल के 30 कार्यकर्ताओं द्वारा आपसी सहयोग से एकत्रित की जाती है और उत्सव के पश्चात उन्हें लौटा दी जाती है। यह एक सामूहिक भक्ति और पारदर्शिता का सुंदर उदाहरण भी है।

उदयपुर चा राजा’ बन रहा है नया प्रतीक

श्रद्धालुओं का कहना है कि जैसे मुंबई का ‘लालबाग का राजा’ गणेश चतुर्थी का राष्ट्रीय प्रतीक बन चुका है, वैसे ही ‘उदयपुर चा राजा’ अब लेकसिटी में धार्मिक आस्था, सामाजिक समर्पण और सांस्कृतिक सौंदर्य का प्रतीक बनकर उभर रहा है। गणपति बप्पा के दरबार को भी भव्य मंडप, विशेष लाइटिंग, और सुरक्षा व्यवस्था के साथ सजाया गया है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं और इस अनुपम श्रृंगार को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। गणेश चतुर्थी का यह पर्व 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक चलेगा। आयोजक मंडल का कहना है कि वे न केवल भक्ति बल्कि पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी इस उत्सव का हिस्सा बना रहे हैं।

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