FIR AGAINST MINISTER VIJAY SHAH
मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह पर भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने को लेकर FIR दर्ज की गई है। यह कार्रवाई जबलपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर की गई। कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद महू के मानपुर थाने में रात 11 बजे एफआईआर दर्ज की गई।
मामला उस समय शुरू हुआ जब महू में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मंत्री विजय शाह ने बिना नाम लिए कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताया। यह बयान तब आया जब पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में कर्नल सोफिया के नेतृत्व में सेना ने कार्रवाई की थी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही विवाद भड़क गया।
FIR AGAINST MINISTER VIJAY SHAH
FIR भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196 और 197 के तहत दर्ज की गई है।
- मंत्री ने विवाद बढ़ने पर सफाई देते हुए माफी मांगी और कहा कि “कर्नल सोफिया मेरे लिए बहन से बढ़कर हैं। बयान दुखी मन से निकला था, उसका गलत मतलब निकाला गया।”
- इस बयान की विपक्ष, सोशल मीडिया और आम जनता ने तीखी आलोचना की है। कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की है और उनके सरकारी बंगले पर कालिख पोतकर विरोध जताया है।
इस घटना का महत्व क्यों?
- सेना का सम्मान — कर्नल सोफिया जैसी अधिकारी पर आपत्तिजनक टिप्पणी सिर्फ़ उनका नहीं, हर सैनिक का अपमान है।
- महिला गरिमा का सवाल — जब एक मंत्री महिला फौजी पर ऐसी भाषा बोले, तो यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए शर्मनाक है।
- न्यायपालिका की सख्ती — हाईकोर्ट की तत्परता यह दिखाती है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
- राजनीतिक जिम्मेदारी — यह घटना बताती है कि नेताओं को मंच से सोच-समझकर बोलना चाहिए, खासकर राष्ट्र की रक्षा करने वालों के बारे में।
FIR AGAINST MINISTER VIJAY SHAH
कौन हैं सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक जांबाज़ और प्रेरणादायक अधिकारी हैं, जिनका नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पहली बार देशभर में गूंजा। यह वही ऑपरेशन था जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान में छिपे आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया और देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया। इस महत्वपूर्ण मिशन के बाद जब देश की आंखें सेना की प्रतिक्रिया पर टिकी थीं, तब मीडिया के सामने भारतीय सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की कमान संभालने वाली अफसर थीं — कर्नल सोफिया कुरैशी। उनकी दृढ़ता, आत्मविश्वास और देशभक्ति ने पूरे भारत को झकझोर दिया।
सोफिया कुरैशी का जन्म 1976 में महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था, लेकिन उनका रिश्ता केवल पुणे से नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की मिट्टी से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उनके पिता सेना में कार्यरत थे और उनके दादा भी एक सैन्य अधिकारी रह चुके हैं। जब सोफिया बहुत छोटी थीं, तब उनका परिवार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव कस्बे में आकर बस गया। यहीं से उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई की — पहली से तीसरी कक्षा तक जीडीसी स्कूल में पढ़ीं। नौगांव आज भी उनके दिल के बहुत करीब है, जहां उनका पुश्तैनी मकान अब भी मौजूद है।
FIR AGAINST MINISTER VIJAY SHAH
सोफिया ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और इसके बाद 1999 में वह भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त अधिकारी बनीं। सेना में दो दशक से अधिक सेवा देने के दौरान उन्होंने कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया और खुद को बार-बार साबित किया। साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में उन्हें भारत की ओर से एक संपूर्ण सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने का गौरव मिला। खास बात यह थी कि उस टुकड़ी में अधिकतर पुरुष सैनिक थे और नेतृत्व एक महिला अधिकारी — कर्नल सोफिया कुरैशी — के हाथों में था। यह भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था।
सेना की ड्यूटी के दौरान ही उनकी मुलाकात मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के अधिकारी कर्नल ताजुद्दीन से हुई। दोनों के विचार और कर्तव्यनिष्ठा में समानता थी, और इसी के चलते उन्होंने 2005 में विवाह करने का निर्णय लिया। आज उनके दो बच्चे हैं — एक बेटा और एक बेटी — और एक अनुशासित, देशभक्त परिवार की मिसाल कायम करते हैं।
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सोफिया कुरैशी उन चंद महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, साहस और नेतृत्व क्षमता से यह साबित किया है कि देश की रक्षा करने वाले हाथ किसी एक लिंग, जाति या धर्म के मोहताज नहीं होते। वह सिर्फ एक अधिकारी नहीं हैं, बल्कि आज के भारत की सोच, शक्ति और सशक्त नारी का प्रतीक बन चुकी हैं।