Farewell of CJI
नई दिल्ली। मैं कल से न्याय नहीं कर सकूंगा, दिल दुखाया हो तो माफी चाहता हूं ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ ये शब्द देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश CJI DY चंद्रचूड़ के हैं। शुक्रवार को उनका बतौर सीजेआई लास्ट वर्किंग डे था। अपने लास्ट वर्किंग डे पर CJI चंद्रचूड़ की विदाई के लिए सेरेमोनियल बेंच बैठी।
उन्होंने समारोहिक पीठ में बार के सदस्यों को संबोधित किया, वकीलों ने जस्टिस चंद्रचूड़ को रॉक स्टार, चार्मिंग और हैंडसम जज बताया। बताते चले कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को हो रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. जस्टिस खन्ना भारत के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस खन्ना सोमवार, 11 नवंबर को कार्यभार संभालेंगे.
मिच्छामि दुक्कड़म का क्या मतलब
पर पहले जान लीजिए कि उन्होंने अपने विदाई समारोह में क्या कहा, “कोर्ट में कभी मेरे से किसी का दिल दुखा हो तो उसके लिए मुझे क्षमा कर दें. मिच्छामि दुक्कड़म, क्योंकि कोर्ट में मेरी ऐसी कोई भावना नहीं रही.” सीजेआई चंद्रचूड़ ने ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ वाक्यांश का उपयोग किया. इसका अर्थ है- “जो भी बुरा किया गया है वह व्यर्थ हो जाए.” यह एक प्राचीन भारतीय प्राकृत भाषा का वाक्यांश है. इसका संस्कृत में अनुवाद है- “मिथ्या मे दुष्कृतम्.”.जैन धर्म में इस वाक्यांश का इस्तेमाल कई मौकों पर किया जाता है. चीफ जस्टिस ने अपनी विदाई के लिए आयोजित समारोहिक पीठ से बार के सदस्यों से कहा कि. ”कल से मैं ऐसे न्याय नहीं कर पाऊंगा, लेकिन मुझे काफी संतुष्टि है. मेरे बाद सोमवार से यह जिम्मेदारी संभालने आ रहे जस्टिस संजीव खन्ना के अनुभव काफी विस्तृत हैं. वे काबिल और प्रतिभावान हैं.”
वकील बोले-रॉक स्टार, चार्मिंग और हैंडसम जज
आयोजन के दौरान वकीलों ने जस्टिस चंद्रचूड़ को रॉक स्टार, चार्मिंग और हैंडसम जज बताया. उन्होंने उनके धैर्य, विवेकशील और शांत व्यक्तित्व की तारीफ की. चीफ जस्टिस नामित जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि, ”मुझे कभी जस्टिस चंद्रचूड़ की अदालत में पेश होकर कुछ कहने का कभी मौका नहीं मिला. इन्होंने वंचित युवाओं और जरूरतमंदों के लिए जो किया वह अतुलनीय है.
Farewell of CJI
612 फैसले लिखे, आखिरी दिन भी 45 केस सुने
अब बात करते है कि सीजेआई के काम करने के तरीकों और उनके दिए बड़े फैसलों की… जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को बतौर सिटिंग जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किए गए थे। अपने कार्यकाल में CJI चंद्रचूड़ 1274 बेंचों का हिस्सा रहे। उन्होंने कुल 612 फैसले लिखे। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों में CJI चंद्रचूड़ ने सबसे ज्यादा फैसले लिखे हैं। आखिरी दिन भी उन्होंने 45 केस की सुनवाई की। CJI चंद्रचूड़ के 2 साल के कार्यकाल के बड़े फैसलों में आर्टिकल 370, राम जन्मभूमि मंदिर, वन रैंक-वन पेंशन, मदरसा केस, सबरीमाला मंदिर विवाद, चुनावी बॉन्ड की वैधता और CAA-NRC जैसे फैसले शामिल हैं।
वकालत क्यों नहीं कर पाते सीजेआई
जाते जाते एक बात बताता चलू कि रिटायरमेंट के बाद सीजेआई वकालत नहीं कर सकते हैं। दरअसल भारत के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका न्याय को बनाए रखने और संविधान की रक्षा करने में महत्वपूर्ण है. संविधान के अनुच्छेद 124 (7) के अनुसार, एक बार उनका कार्यकाल समाप्त हो जाने पर सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को किसी भी भारतीय न्यायालय में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है. यह प्रतिबंध महत्वपूर्ण नैतिक विचारों को दर्शाता है, यह सुनिश्चित करता है कि न्यायाधीश अपने कार्यकाल से परे भी निष्पक्षता बनाए रखें. ये जानकारी आपको कैसी हमें इस पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिए।