EX PM Manmohan Singh Death And Funeral
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इस दौरान सभी सरकारी संस्थानों में तिरंगा आधा झुका रहेगा। कांग्रेस ने बेलगावी में हो रही CWC की स्पेशल बैठक को रद्द कर दिया है। उनका अंतिम संस्कार कल यानी शनिवार को होगा।
नई दिल्ली। दो बार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार को एम्स में रात निधन हो गया। डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली के मोतीलाल नेहरू मार्ग पर उनके आवास पर रखा गया है। कल रात एम्स से उनके पार्थिव शरीर को यहां लाया गया। आज उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार कल यानि शनिवार को किया जा सकता है।
कांग्रेस की तरफ से आज इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। वहीं सरकार ने 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उनके निधन के चलते केंद्र सरकार ने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस दौरान सभी सरकारी संस्थानों में तिरंगा आधा झुका रहेगा। वहीं आज सुबह 11 बजे सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
सरकार ने आज के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। कांग्रेस ने भी बेलगावी में हो रही CWC की स्पेशल बैठक को रद्द कर दिया है और सभी नेता दिल्ली पहुंच रहे हैं। मनमोहन सिंह एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर थे, नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे। और जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था को खोला, और 2004 और 2009 में दो बार प्रधानमंत्री बने।
EX PM Manmohan Singh Death And Funeral
पूर्व PM अंतिम संस्कार में क्या प्रोटोकॉल होता है?
मिली जानकारी के मुताबिक भारत में पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार के दौरान खास राजकीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसका मकसद देश के प्रति उनके योगदान और पद की गरिमा को सम्मानित करना होता है। बता दें कि अंतिम संस्कार से पहले पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को भारत के राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे में लपेटा जाता है।
इसके अलावा अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। दरअसल, यह सलामी राजकीय सम्मान के हाईएस्ट लेवल का प्रतीक मानी जाती है। उनकी अंतिम यात्रा में आम जनता से लेकर गणमान्य व्यक्ति और राजनेता शामिल होते हैं। इसके अलावा अंतिम यात्रा में सैन्य बैंड और सशस्त्र बलों के जवान भी शामिल होते हैं और पारंपरिक मार्च करते हैं।