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Tuesday, May 6, 2025

WHY ZOMATO DELISTED RESTAURANTS : जोमैटो ने प्लेटफॉर्म से हटाए 19,000 रेस्टोरेंट, साफ-सफाई, धोखाधड़ी और डुप्लिकेट लिस्टिंग बने बड़ी वजह

WHY ZOMATO DELISTED RESTAURANTS गुड़गांव। फूड डिलीवरी की दिग्गज कंपनी जोमैटो (Zomato) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने प्लेटफॉर्म से करीब 19,000 रेस्टोरेंट्स को...

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EV prices may fall: कलर टीवी और स्मार्ट फोन की तरह बाजार में अब तेजी से गिर सकती हैं ईवी की कीमतें, टिपिंग पॉइंट है इसकी वजह

EV prices may fall

रायपुर। आप कार यूजर हैं। हो सकता है पूरानी कार बेच कर नई खरीदने का सोच रहे होंगे, तो आपके मन में ईवी यानी इलेक्ट्रोनिक कार खरीदने का जरूर मन बना होगा, लेकिन ई कार की महंगी कीमतों की वजह से आप जरूर रुके होंगे। ऐसे लोगों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही भारत समेत दुनिया भर में ईवी की कीमत कम हो सकती है।

इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि दुनिया के 32 देशों में पिछले साल ही ईवी मार्केट का टिपिंग पॉइंट पार हो गया है। टिपिंग पॉइंट बाजार में उत्पाद के 5 फीसदी की हिस्सेदारी की सीमा का पार करना कहलाता है। टिपिंग पॉइंट इस बात भी संकेत होता है कि बाजार में उपभोक्ता और निर्माता अपनी प्राथमिकताएं बदल रहे हैं। साथ ही उपभोक्ता बड़े पैमाने पर नई तकनीक अपनाने की शुरुआत कर चुके हैं।

एक्सपर्ट का मानना है कि नई टेक्नॉलॉजी को स्वीकार करने की राह बाजार में ‘एस कर्व से होकर गुजरती है। इसका मतलब है कि मुख्यधारा की लहर में शामिल होने से पहले उत्पाद की बिक्री धीमी गति से चलती है। इस दौरान के सभी बदलाव उत्पाद की लागत, बुनियादी ढांचे की कमी और उपभोक्ता के मन में संदेह जैसी शुरुआती बाधाओं पर निर्भर रहते हैं, लेकिन बाद में इसके निर्माण में तेजी से बूम आता है, जिससे कीमतें तेजी से गिरती हैं।

दुनियाभर के मार्केट में टिपिंग पॉइंट इन बाधाओं के खत्म होने की शुरुआत का संकेत माना जाता है। जिन देशों ने ईवी टिपिंग पॉइंट पार कर लिया है, वे दुनिया की दो-तिहाई ऑटो बिक्री के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में सबसे पहला नाम चीन का है। साल 2023 की चौथी तिमाही में दुनिया भर में बेची गई नई कारों में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी लगभग 12% थी। एशिया में चीन ईवी की बिक्री में टॉप में बना हुआ है। इसने 2020 की चौथी तिमाही में ही टिपिंग पॉइंट यानी 5% की सीमा को पार कर लिया और 2023 की अंतिम तिमाही तक बिक्री 24% तक बढ़ गई।

अब मैं आपको एक उदाहरण बताता हूं इससे आपको पूरा मामला समझ आ जाएगा। दरअसल जैसा अभी ईवी के साथ है ऐसा पहले कलर टीवी और मोबाइल के साथ भी हुआ है। मामला 1950 के दशक का है जब बाजार में कलर टीवी पहुंचे ही थे। लेकिन महंगी कीमतों की वजह से वे सिर्फ सीमित घरों तक थे। यानी एक फ्लॉप फिल्म को तरह लग रहे थे।

तब कलर टीवी के उपकरण महंगे थे, मेंटेनेंस मुश्किल था लिहाजा कुछ ही घरों तक वे पहुंच बना सके थे। फिर कलर टीवी ने मार्केट के टिपिंग पॉइंट को पार किया जिसके बाद कीमतें अचानक गिर गई। निर्माता कंपनियों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गया और देखते ही देखते ये वे प्रत्येक घर में पहुंच गए थे। ऐसा ही स्मार्ट फोन के साथ भी हुआ था।

अब आपको बताते हैं कि टिपिंग पॉइंग के पार होने के चलते भारत में इसका कैसा असर होगा। माना जा रहा है कि इस साल भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री 66 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, यानी 2023 के मुकाबले लगभग दोगुनी। यह बढ़ोतरी सरकारी सब्सिडी और बेहतर बुनियादी ढांचे की बदौलत हासिल हुआ है

काउंटरपॉइंट की एक रिपोर्ट कहती है। यह उछाल अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख बाजारों में धीमी ईवी बढ़ोतरी के उलट है। रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि 2030 तक, ईवी भारत के व्यक्तिगत वाहन बाजार का लगभग एक तिहाई हिस्सा बन जाएंगे। टाटा मोटर्स भारतीय ईवी बाजार का नेतृत्व करता है, जिसने 2023 में कुल कार बिक्री का 2 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया था। जबकि सरकार 2030 तक 30 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य रखती है।

दूसरे कार निर्माताओं में टाटा मोटर्स की प्रमुखता के बावजूद, महिंद्रा एंड महिंद्रा और चीनी वाहन निर्माता BYD ने भी पिछले साल पकड़ बनाई है। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने XUV400 मॉडल के साथ लगभग 2,500 फीसदी की ईवी बिक्री बढ़ोतरी देखी। जबकि BYD ने अपने e6 MPV और Atto 3 एसयूवी मॉडल के साथ 1,500 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की।

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