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Monday, May 5, 2025

WHY ZOMATO DELISTED RESTAURANTS : जोमैटो ने प्लेटफॉर्म से हटाए 19,000 रेस्टोरेंट, साफ-सफाई, धोखाधड़ी और डुप्लिकेट लिस्टिंग बने बड़ी वजह

WHY ZOMATO DELISTED RESTAURANTS गुड़गांव। फूड डिलीवरी की दिग्गज कंपनी जोमैटो (Zomato) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने प्लेटफॉर्म से करीब 19,000 रेस्टोरेंट्स को...

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Election Commission Meeting : वोटर ID और आधार लिंकिंग पर चुनाव आयोग और UIDAI की बैठक, जल्द आ सकती है बड़ी घोषणा

Election Commission Meeting

नई दिल्ली। केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसको लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग (ECI) और यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के अधिकारियों की अहम बैठक हुई, जिसमें दोनों दस्तावेजों को जोड़ने को लेकर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। अब इस पर आगे बढ़ने से पहले विशेषज्ञों की राय ली जाएगी।

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कानून और सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा में होगा काम

बैठक के बाद चुनाव आयोग ने साफ किया कि वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की यह प्रक्रिया मौजूदा कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत ही की जाएगी। आयोग ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326 केवल भारतीय नागरिकों को ही वोट डालने का अधिकार देता है, जबकि आधार कार्ड सिर्फ पहचान का प्रमाण है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के दौरान किसी भी कानून का उल्लंघन न हो।

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2015 में लिंकिंग पर लगी थी रोक

यह पहली बार नहीं है जब वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की बात हो रही है। इससे पहले 2015 में चुनाव आयोग ने NERPAP (राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम) के तहत 30 करोड़ वोटर आईडी को आधार से लिंक किया था। लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लगभग 55 लाख लोगों के नाम वोटर सूची से हट गए,

जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने लिंकिंग प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आधार केवल सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य हो सकता है, अन्य सेवाओं के लिए नहीं।

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राहुल गांधी ने उठाई आपत्ति, कहा- गरीबों को होगी परेशानी

इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हम लगातार मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते रहे हैं। इसमें डुप्लिकेट वोटर आईडी, मतदाताओं को जोड़ने और हटाने की असमान प्रक्रिया शामिल है। अगर आधार और वोटर आईडी को जोड़ा गया तो गरीब लोगों को लिंकिंग प्रक्रिया में कठिनाई होगी।”

उन्होंने मांग की कि कोई भी भारतीय अपने वोट के अधिकार से वंचित न हो, और चुनाव आयोग को लोकसभा व महाराष्ट्र चुनावों की वोटर लिस्ट सार्वजनिक कर, उसमें नाम जोड़ने और हटाने की पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

क्या है सरकार और आयोग की योजना?

सरकार ने संसद में बताया है कि वोटर आईडी-आधार लिंकिंग की प्रक्रिया पहले से चल रही है, लेकिन इसे लेकर कोई समय सीमा या लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। साथ ही स्पष्ट किया गया है कि जो लोग अपने आधार कार्ड को वोटर सूची से नहीं जोड़ते, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं हटाए जाएंगे।

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आयोग ने मांगे सुझाव, 2025 से पहले हो सकता है बड़ा फैसला

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने अप्रैल 2025 से पहले सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त दलों से इस मुद्दे पर आधिकारिक सुझाव मांगे हैं। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले जिला और राज्य स्तर पर चुनाव अधिकारियों की बैठक करेगा, ताकि आगामी चुनावों में इस प्रणाली को पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी के साथ लागू किया जा सके।

गौरतलब है कि वोटर आईडी और आधार को लिंक करने का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक बहस, कानूनी पेच और तकनीकी चुनौती के बीच खड़ा हो गया है। आने वाले दिनों में विशेषज्ञों की राय और राजनीतिक दलों के सुझावों के बाद यह तय होगा कि भारत में चुनाव प्रणाली में बदलाव का यह कदम किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

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