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EC Election Results Data Safety Rules 2025 : चुनाव के फोटो-वीडियो अब 45 दिन बाद होंगे डिलीट, चुनाव आयोग के नए नियम पर कांग्रेस का कड़ा विरोध

EC Election Results Data Safety Rules 2025

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने हाल ही में एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने देश की राजनीतिक हलचल को और तेज़ कर दिया है। आयोग ने अपने नए दिशा-निर्देशों में कहा है कि अब चुनावी प्रक्रिया के दौरान एकत्रित किए गए फोटो और वीडियो को चुनाव परिणाम आने के सिर्फ 45 दिन बाद डिलीट कर दिया जाएगा—बशर्ते उस निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी कोई चुनाव याचिका अदालत में दायर न की गई हो।

यह फैसला 30 मई 2025 को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेजे गए निर्देशों के तहत लिया गया है। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी रिकॉर्डिंग के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रामक नैरेटिव्स को रोकने के लिए उठाया गया है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

चुनाव आयोग के अनुसार, हाल के समय में कुछ असंबंधित लोगों द्वारा चुनाव के वीडियो को एडिट कर या तोड़-मरोड़कर ऐसे नरेटिव गढ़े गए हैं, जिनसे आम मतदाता भ्रमित हुआ और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गलत प्रभाव पड़ा। आयोग ने कहा कि ये रिकॉर्डिंग मूल रूप से आंतरिक निगरानी और पारदर्शिता के उद्देश्य से की जाती हैं, लेकिन जब इनका इस्तेमाल गलत तरीके से होने लगता है, तो इनका सार्वजनिक अस्तित्व बनाए रखना अनुचित हो जाता है।

EC Election Results Data Safety Rules 2025

पहले क्या व्यवस्था थी?

इससे पहले तक चुनाव से जुड़ी वीडियो व फोटो रिकॉर्डिंग को तीन महीने से लेकर एक साल तक के लिए संभालकर रखा जाता था। ये डेटा चुनाव से जुड़े किसी विवाद या कानूनी कार्रवाई की स्थिति में साक्ष्य के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता था।

कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का तीव्र विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि यह फैसला लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों और पारदर्शिता के खिलाफ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पहले तो दस्तावेज जनता से छिपाए गए, अब उन्हें पूरी तरह मिटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पार्टी ने मांग की है कि चुनाव आयोग को यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ताओं का यह भी कहना है कि इस कदम से भविष्य में होने वाले किसी भी चुनावी फर्जीवाड़े की जांच में बड़ी बाधा आ सकती है। खासकर जब कई बार चुनावी नतीजों पर अदालतों में याचिकाएं दाखिल होती हैं और फुटेज को साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

पहले भी हुए हैं नियमों में बदलाव

गौरतलब है कि 20 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग रिकॉर्डिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इन वीडियो को अभी भी उम्मीदवारों को उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि आम जनता को इन्हें हासिल करने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ेगा।

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AI से छेड़छाड़ का खतरा

EC और सरकार का यह भी तर्क है कि आज की डिजिटल दुनिया में, खासकर AI तकनीक के इस्तेमाल से, वीडियो में हेरफेर कर फर्जी नैरेटिव तैयार करना आसान हो गया है। ऐसे में लंबे समय तक इन फुटेज को संभाल कर रखना लोकतंत्र के लिए लाभ के बजाय नुकसानदायक साबित हो सकता है।

राहुल गांधी ने की थी CCTV फुटेज की मांग

हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से पोलिंग बूथ के CCTV फुटेज की मांग की थी। उनका दावा था कि चुनाव में गड़बड़ी हुई है और आयोग की भूमिका संदिग्ध रही है। अब जब ये रिकॉर्डिंग केवल 45 दिन तक ही रखी जाएंगी, तो ऐसे किसी भी अनुरोध की संभावना कमज़ोर हो सकती है।

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