Durg District Hospital
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां हिंदू और मुस्लिम परिवारों के नवजात शिशुओं की अदला-बदली हो गई। यह घटना अस्पताल स्टाफ की गलती के कारण हुई, जिसने दोनों परिवारों को गहरे संकट में डाल दिया है।
कैसे हुआ मामला उजागर?
23 जनवरी 2024 को मदर चाइल्ड वार्ड में शबाना कुरैशी और साधना सिंह ने सात मिनट के अंतराल में बेटों को जन्म दिया। अस्पताल की पहचान प्रक्रिया के तहत बच्चों के हाथ में मां के नाम के टैग लगाए गए और फोटो खींची गई। परंतु, नहलाने के बाद बच्चों को गलत माताओं के पास पहुंचा दिया गया।
डिस्चार्ज के तीन दिन बाद, शबाना को अपने बच्चे के टैग पर “बेबी ऑफ साधना” लिखा दिखा, जिससे उसे शक हुआ। जन्म के समय की फोटो और बर्थ मार्क की तुलना करने पर अदला-बदली की पुष्टि हुई।
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परिवारों के बीच विवाद
जब कुरैशी परिवार ने अस्पताल से शिकायत की, तो अस्पताल प्रशासन ने साधना सिंह को जानकारी दी। हालांकि, साधना ने बच्चा लौटाने से इनकार कर दिया और कहा कि अब उसे बच्चे से भावनात्मक लगाव हो गया है।
प्रशासनिक हस्तक्षेप और जांच समिति गठित
मामला गंभीर होने पर परिवार ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से शिकायत की। कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर एम भार्गव के नेतृत्व में जांच समिति बनाई, जिसने अस्पताल के रिकॉर्ड की जांच की और स्टाफ से पूछताछ की।
फ़िलहाल अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। दोनों परिवार अपने-अपने दावे पर अड़े हुए हैं। यदि जांच समिति कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल पाती, तो अंतिम निर्णय के लिए नवजात शिशुओं का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। यह घटना न केवल अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि नवजात शिशुओं की सुरक्षा और पहचान प्रक्रिया पर भी एक बड़ा और गंभीर सवाल खड़े करती है।