DURG BHILAI
दुर्ग/भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई का सिविक सेंटर इन दिनों भारतीय सेना के पराक्रम और बलिदान की अद्वितीय अभिव्यक्ति का गवाह बना हुआ है। यहां प्रतिष्ठित कलाकार डॉ. अंकुश देवांगन द्वारा बनाई गई एक विशेष पेंटिंग लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह पेंटिंग न केवल कला का उत्कृष्ट नमूना है, बल्कि उसमें समाया दर्द और राष्ट्रीय भावना हर दर्शक के हृदय को छू जाता है।
इस मार्मिक चित्र में एक नवविवाहिता को दर्शाया गया है, जिसकी शादी के महज छः दिन बाद ही उसका पति शहीद हो जाता है। सिंदूर से सजी मांग अब वीरान हो चुकी है, और आंखों से आंसू सूख चुके हैं, पर चेहरा आज भी देश के प्रति समर्पण की कहानी कह रहा है। पेंटिंग पर अंकित शब्द “सिंदूर का बदला पाकिस्तान हुआ कंगला” अब सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंड कर रहा है और देशवासियों की भावनाओं को मुखरित कर रहा है।
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यह चित्र उस 100 फीट लंबी पेंटिंग श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें कलाकारों ने पहल्गाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की त्वरित और साहसिक कार्रवाई को दर्शाया है। इस श्रृंखला में बताया गया है कि कैसे भारतीय सेना ने केवल चार दिन में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, जिससे न केवल वहां खलबली मच गई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।
ललित कला अकादमी के प्रथम छत्तीसगढ़ बोर्ड सदस्य डॉ. अंकुश देवांगन ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया है। वे युवावस्था से ही कला को सामाजिक सरोकारों का माध्यम बनाकर देश और समाज को जागरूक करने में लगे हैं। प्राकृतिक आपदा हो, नक्सली क्षेत्रों में बच्चों को कला की शिक्षा देनी हो या शासन-प्रशासन को आईना दिखाना हो। उनकी तूलिका सदा मुखर रही है।
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डॉ. देवांगन ने युद्ध पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा कि भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है और आज जब हम तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर हैं, तब युद्ध से अधिक जरूरी है विकास। उन्होंने आगाह किया कि पाकिस्तान भारत की धार्मिक एकता और कश्मीर में लौट रही शांति से घबराया हुआ है, और भटकाने की कोशिश कर रहा है।
उनकी अपील है कि भारतवासी आपसी सौहार्द बनाए रखें और पूरी शक्ति देश के विकास में लगाएं, ताकि हम जल्द ही न केवल तीसरी बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकें।
भिलाई में लगी यह प्रदर्शनी आज जनचेतना का माध्यम बन गई है, जहां कलाकारों की कूंची और देशप्रेम का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। लोग पेंटिंग देखने नहीं, उसे महसूस करने आ रहे हैं, और यही इस कला की सबसे बड़ी सफलता है।