Dongargarh Fake Baba Ashram
डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ की धार्मिक और श्रद्धा से जुड़ी नगरी डोंगरगढ़ इन दिनों एक सनसनीखेज मामले को लेकर चर्चा में है। यहां प्रज्ञागिरी पहाड़ी के पास रहने वाले एक तथाकथित ‘संत’ का चौंकाने वाला सच सामने आया है। साधु के वेश में आश्रम चला रहा यह बाबा असल में एक पाखंडी निकला, जो अपने आश्रम में सेक्स टॉय, वियाग्रा, नशीली गोलियां और गांजा जैसे आपत्तिजनक सामान छिपाकर युवाओं को गुमराह कर रहा था।
इस बाबा का असली नाम तरुण अग्रवाल उर्फ सोनू (45) है। वह मूल रूप से डोंगरगढ़ का ही रहने वाला है, लेकिन बीते 20 सालों से गोवा में रह रहा था। गोवा में उसने विदेशी पर्यटकों को योग सिखाने की आड़ में एक पूरा नेटवर्क खड़ा किया और वहीं से अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने की कोशिश की। दावा है कि उसने 100 देशों की यात्रा की है और 10 से ज्यादा एनजीओ का डायरेक्टर भी है। तरुण ने विदेशों में योग सिखाने के कई सर्टिफिकेट भी पुलिस को दिखाए हैं।
Dongargarh Fake Baba Ashram
करीब डेढ़ साल पहले वह डोंगरगढ़ लौटा और एक फार्म हाउस खरीद कर उसे ‘आश्रम’ का नाम दिया। यह फार्म हाउस पूरी तरह मार्बल-टाइल्स से सज्जित था और आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस था। धीरे-धीरे वह युवाओं को योग और ध्यान के नाम पर वहां बुलाने लगा। लेकिन जब उसे ऐसे लड़के नहीं मिले जो नशे की लत में हों, तो उसने खुद गांजा रखना शुरू कर दिया। पुलिस को लंबे समय से उस पर शक था। रात में आश्रम के आसपास युवकों की आवाजाही भी देखी जा रही थी।
Dongargarh Fake Baba Ashram
आख़िरकार 24 जून को पुलिस ने आश्रम में रेड मारी। रेड में जो कुछ मिला, उसने सबको चौंका दिया। आश्रम से 2 किलो गांजा, वियाग्रा, नशीली दवाएं, सेक्स टॉय और विदेशी उपकरण जब्त किए गए। कुछ बॉक्स विदेश से मंगाए गए थे जिनकी जांच अब साइबर सेल कर रही है। साथ ही आश्रम में मौजूद वीडियो उपकरण भी जब्त कर लिए गए हैं।
Dongargarh Fake Baba Ashram
पुलिस के अनुसार आश्रम हर रात एक अड्डे में तब्दील हो जाता था जहां युवकों की भीड़ लगती थी। योग और साधना के नाम पर यहां नशे की पार्टी होती थी। बाबा तरुण युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करता था।
यह भी सामने आया है कि बाबा का परिवार डोंगरगढ़ में ‘सेठ परिवार’ के नाम से जाना जाता है। उसके बड़े भाई अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और मंझले भाई की शहर में फॉर्चून ब्रांड की दुकान है। आश्रम की ज़मीन तरुण ने 6 करोड़ में खरीदी थी और उसका पंजीकरण ‘सेठ श्री बालकिशन प्रसाद अग्रवाल मेमोरियल फाउंडेशन’ के नाम से किया गया था।
Dongargarh Fake Baba Ashram
फिलहाल पुलिस ने आश्रम को सील कर दिया है। आरोपी से गहन पूछताछ जारी है और उसके पासपोर्ट, बैंक खातों, एनजीओ से जुड़े कागज़ातों और सोशल मीडिया नेटवर्क की छानबीन भी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ की पवित्र भूमि पर इस तरह की गतिविधियों ने प्रशासन और समाज को झकझोर कर रख दिया है।
यह मामला न सिर्फ एक पाखंडी बाबा की सच्चाई उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि किस तरह कुछ लोग धर्म और योग की आड़ में युवाओं को नशे और शोषण के रास्ते पर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं।
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