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Breaking…Deputy CM दो जगह पंजीकृत…! 2 EPIC कार्ड रखने का आरोप…SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठे सवाल…यहां देखें

Breaking...Deputy CM registered at two places...! Accused of having 2 EPIC cards...Questions raised on transparency of SIR process...See here

Deputy CM

पटना, 10 अगस्त। Deputy CM : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राज्य की Special Intensive Revision (SIR) ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि डिप्टी CM विजय कुमार सिन्हा के नाम पर दो अलग-अलग EPIC (वोटर आईडी) कार्ड हैं, जो दो अलग निर्वाचन क्षेत्रों, पटना और लखीसराय में पंजीकृत हैं और इसमें जन्मतिथि/उम्र भी अलग-अलग दर्ज है। उन्होंने दोनों EPIC के डिजिटल विवरण मीडिया के सामने प्रदर्शित किए। तेजस्वी ने सवाल उठाया- क्या यह SIR प्रक्रिया का दोष है या खुद डिप्टी CM की कथित “धांधली”? वहीं, विजय कुमार सिन्हा ने सफाई में कहा कि उन्होंने 5 अगस्त को पटना से नाम हटवाने के लिए BLO को आवेदन दिया है, जिससे दोबारा पंजीकरण की समस्या हो सकती है।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

प्रारंभिक जांच में, आयोग ने आरवीसी संख्या RAB0456228 को सत्यापित कर बताया कि यह पहले के सालों (2015, 2020) में इस्तेमाल भी की गई है और वर्तमान ड्राफ्ट लिस्ट में भी मौजूद है। दूसरी संख्या, RAB2916120, किसी आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं मिली, इसकी उत्पत्ति और सत्यता की जांच जारी है। निर्वाचन आयोग ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी किया और उनसे संदिग्ध EPIC कार्ड (RAB2916120) को जांच के लिए सौंपने का निर्देश दिया है। इस कथित फर्जी दस्तावेज़ के उपयोग को आपराधिक प्रावधानों के तहत जांचा जाएगा और उन्हें 16 अगस्त तक यह कार्ड जमा करने को कहा गया है।

राजनीतिक झंझावात

दूसरी ओर, तेजस्वी ने आयोग पर फर्जी EPIC की कहानी बनाने का आरोप लगाया और SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और जनताविरोधी छंटनी का आरोप लगाया। NDA नेताओं ने RJD नेता पर दो वोटर आईडी रखने का आरोप लगाते हुए इसे अपराध करार दिया और चुनाव आयोग से FIR दर्ज करने की मांग की है। SIR ड्राफ्ट लिस्ट विवाद के बीच, EC ने बिहार में लगभग 65.6 लाख नामों को हटाया है, जिससे राज्य की मतदाता संख्या लगभग 7.89 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ हो गई है, यह व्यापक राजनीतिक और संवैधानिक बहस का विषय बना हुआ है। ये आरोप और प्रतिक्रिया बिहार की राजनीतिक गतिशीलता को और भी गर्म बना रहे हैं, विशेषकर विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची की समीक्षा पर राजनीति की तीव्रता को देखते हुए।
 
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