Delhi Vidhan Sabha Session
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 ने राजधानी की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया है। 13 साल तक सत्ता के केंद्र में रहने वाले अरविंद केजरीवाल अब पूरी तरह राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गए हैं, और दिल्ली की राजनीति का केंद्र अब महिलाओं के इर्द-गिर्द सिमट गया है।
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गौरतलब है कि 27 साल बाद सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) को मुख्यमंत्री बनाकर सत्ता की बागडोर सौंपी है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी बड़ा दांव खेलते हुए आतिशी (Atishi) को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी है।
Delhi Vidhan Sabha Session
महिला शक्ति का दबदबा
बता दें कि दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद 24 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, जो 27 फरवरी तक चलेगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के कारण अवकाश रहेगा। तीन दिवसीय सत्र के पहले दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले सभी 70 विधायक नई विधानसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेंगे।
यह पहली बार हुआ है जब सत्ता पक्ष और विपक्ष—दोनों की कमान महिलाओं के हाथ में है। इससे न केवल दिल्ली की राजनीति में नया संतुलन बना है, बल्कि सदन से लेकर सड़क तक तीखी बहस और नोकझोंक की संभावनाएं भी तेज हो गई हैं।
जानिए क्या होगा आगे?
- सत्ता और विपक्ष दोनों में महिलाओं के नेतृत्व से दिल्ली की राजनीतिक शैली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
- रेखा गुप्ता और आतिशी के बीच विचारधारा और रणनीति की जबरदस्त टक्कर होने की संभावना है।
- महिलाओं के इस नेतृत्व से राजधानी में नई राजनीतिक संस्कृति की नींव रखी जा सकती है।
Delhi Vidhan Sabha Session
विधानसभा सत्र में महिलाओं के मुद्दों पर सियासी घमासान तय
दिल्ली विधानसभा का यह सत्र राजनीतिक तौर पर काफी दिलचस्प होने वाला है। जहां एक ओर बीजेपी, आम आदमी पार्टी की सरकार को कैग रिपोर्ट और अन्य मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रही है, वहीं आम आदमी पार्टी भी विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए रणनीति तैयार करेगी।
इस सत्र में महिलाओं के मुद्दे पर भी गहन बहस होने की संभावना है। हाल ही में महिला सुरक्षा,Representation (प्रतिनिधित्व) और कल्याणकारी योजनाओं को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग-अलग रुख अपनाया है। बीजेपी जहां कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को घेर सकती है, वहीं आम आदमी पार्टी अपने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को बचाव में पेश कर सकती है।
इसके अलावा, शराब नीति और यमुना सफाई जैसे मुद्दों पर भी तीखी बहस होने की संभावना है। देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा पक्ष इस सत्र में शह-मात के खेल में बढ़त हासिल करता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महिला शक्ति की यह सियासी जंग दिल्ली की राजनीति को किस दिशा में लेकर जाती है।
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