Delhi New CM
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन बीजेपी की ओर से अभी तक अगली सरकार के मुखिया के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। चुनाव नतीजों के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर जारी है। बीजेपी हाईकमान के फैसले अक्सर दावों के उलट निकलते रहे हैं, जैसा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में देखने को मिला था।
इस सस्पेंस के बीच मंगलवार रात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच करीब एक घंटे लंबी अहम बैठक हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में दिल्ली में सरकार गठन और मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरों पर चर्चा की गई।
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बैठक में यह तय किया गया है कि 16 फरवरी के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी। पार्टी के रणनीतिकार फिलहाल सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और अंतिम फैसला हाईकमान के निर्देश पर ही किया जाएगा।
फिलहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी किसी अनुभवी चेहरे पर भरोसा जताती है या फिर किसी नए चेहरे के साथ दिल्ली की कमान संभालने का फैसला करती है। तो वहीं सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हैं कि पार्टी किस चेहरे पर दांव लगाएगी। मौजूदा परिदृश्य में तीन प्रमुख विकल्पों पर चर्चा हो रही है—परवेश वर्मा, एक महिला मुख्यमंत्री, या फिर किसी पूर्वांचली चेहरे को मौका दिया जा सकता है।
परवेश वर्मा: सबसे प्रबल दावेदार?
बता दें कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को हराकर सुर्खियों में आए परवेश वर्मा इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। नतीजों के तुरंत बाद ही उनकी मुलाकात अमित शाह और जेपी नड्डा से हो चुकी है, जिससे उनके दावे को और बल मिला है। उनकी राजनीतिक पकड़ और मजबूत जनाधार उन्हें एक प्रमुख दावेदार बनाता है।
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महिला मुख्यमंत्री का विकल्प
तो वहीं खबरों के मुताबिक बीजेपी के शासित किसी भी राज्य में फिलहाल महिला मुख्यमंत्री नहीं है, ऐसे में पार्टी दिल्ली में नया प्रयोग कर सकती है। शिखा राय, जिन्होंने ग्रेटर कैलाश सीट पर सौरभ भारद्वाज को हराकर बड़ी जीत दर्ज की है, एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरी हैं। तो वहीं इसके अलावा, वजीरपुर की विधायक पूनम शर्मा और नजफगढ़ की नीलम पहलवान के नाम भी चर्चा में हैं। पार्टी महिला सशक्तिकरण के संदेश के तहत इस दिशा में फैसला ले सकती है।
पूर्वांचली चेहरा भी रेस में
दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचलियों का प्रभाव लगातार बढ़ा है। ऐसे में बीजेपी किसी पूर्वांचली चेहरे को आगे बढ़ाकर पूर्वांचल वोट बैंक को साधने की कोशिश कर सकती है। हालांकि इस वर्ग से किसी खास नाम पर सहमति बनने की अभी पुष्टि नहीं हुई है।