Congress Will Protest
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस पार्टी एक बार फिर विष्णुदेव साय सरकार के खिलाफ फिर बड़ा आंदोलन की तैयारी में हैं। बलरामपुर हिंसा मामले में 3 नवंबर को कांग्रेस प्रदेश के सभी जिला और शहर मुख्यालयों में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। बता दें कि बलरामपुर की घटना के बाद पीसीसी चीफ दीपक बैज और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं।
क्या था बलरामपुर का मामला
बलरामपुर कोतवाली में पूछताछ के लिए बुलाए गए एक युवक ने कथिततौर पर थाना के बाथरुम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। इस घटना के बाद वहां भीड़ उग्र हो गई थी। आक्रोशित लोगों ने थाने पर हमला कर दिया था। थाने में जमकर तोड़फोड़ की गई। इसके बाद जब पुलिस शव लेकर मृतक के गांव पहुंची तो वहां भी पुलिस का लोगों ने विरोध किया। इस दौरान झूमाझटकी भी हुई।
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पीसीसी चीफ ने 1 करोड़ मुआवजे की मांग
प्रदेश अध्यक्ष बैज ने इस मामले की पूरी जांच उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि, मामले में पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी और टीआई की भूमिका संदिग्ध है। उन सबके खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। मृतक के शव का डॉक्टरों की टीम बनाकर दोबारा पोस्टमॉर्टम कराया जाए। परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाए।
कांग्रेस ने किया सवाल
- किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। गुरुचरण मंडल, उनके पिता तथा एक अन्य को चार दिनों तक थाने में हिरासत में क्यों रखा गया? 24 घंटे के भीतर कोर्ट में क्यों प्रस्तुत नहीं किया गया?
- मृतक के पास टॉवेल (तौलिया) कहां से आया जबकि उसके पिता का कहना है उसके पास कोई टॉवेल नहीं थी?
- मृतक के शरीर का पंचनामा परिजनों व परिचितों के सामने क्यों नहीं किया गया?
- मृतक के परिजन शव को दफनाने की मांग कर रहे थे, पुलिस जलाना क्यों चाहती थी, हालांकि बाद में दबाव के कारण दफनाया गया.
- मृतक के शव को थाने से अस्पताल ले जाते उसके पिता ने देखा लेकिन उसके मौत की जानकारी थाने में उनको क्यों नहीं दिया गया?
बता दें कि इसी मामले में कांग्रेस ने 27 अक्टूबर को सभी जिला मुख्यालयों में पुतला दहन, 28 अक्टूबर सभी जिला कांग्रेस कमेटी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था।