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CJI DY Chandrachud: CJI चंद्रचूड़ वकील के ‘या.. या..’ कहने पर नाराज, बोले- ‘यह कोर्ट है, कॉफी शॉप नहीं’; डांट के बाद वकील ने शुरू किया मराठी में बोलना”

CJI DY Chandrachud

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ सोमवार को एक सुनवाई के दौरान वकील के अंग्रेजी में ‘या.. या..’ कहने पर नाराज हो गए। चीफ जस्टिस ने वकील को डांटते हुए कहा, “यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। ये क्या है, या.. या..।  इसके बजाय यस..यस कहें।  चंद्रचूड़ की डांट सुनकर वकील ने मराठी बोलना शुरू कर दिया। इस दौरान वकील ने डीवाई चंद्रचूड़ सो मांगी माफी और अपनी दलीलें जारी रखी।

दरअसल, CJI डीवाई चंद्रचूड़  ने रीट पीटीसन केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें याचिका ने उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे पूर्व CJI रंजन गोगोई ने फैसले को खारिज कर दिया था।  याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे नौकरी से गैरकानूनी तरीके से टर्मिनेट करके निकाला गया था। जिसके खिलाफ उसने 2018 में याचिका दायर की थी लेकिन पूर्व CJI रंजन गोगोई ने इसको खारिज कर दिया था। इस दौरान हमनें रंजन गोगोई के खिलाफ जांच की मांग भी की थी।

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याचिकाकर्ता जज के खिलाफ याचिका दायर की

चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा कि क्या यह मामला 32 आर्टिकल की याचिका के लिए सही हैं। आर्टिकल 32 में किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकारों को उल्लघंन करने पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति दी जाती हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि जस्टिस गोगोई, इस कोर्ट के पूर्व जज थे और आप एक जज के खिलाफ इस तरह की याचिका नहीं दायर कर सकते और इन-हाउस जांच की मांग नहीं कर सकते।

चीप जस्टिस ने कहा- कोई कॉफी शॉप नहीं है। मुझे ‘Yeah’ शब्द से दिक्कत 

इस दौरान याचिकाकर्ता अपनी दलीलें देते हुए ‘Yeah, Yeah’ बोलकर चीफ जस्टिस की बातों पर सहमति जता रहे थे। CJI चंद्रचूड़ ने यह सुना तो उन्होंने ‘Yeah’ शब्द पर आपत्ति जताते हुए कहा, “Yeah, Yeah, Yeah मत बोलिए। Yes कहिए। ये कोई कॉफी शॉप नहीं है। मुझे ‘Yeah’ शब्द से दिक्कत है। सुनवाई में ऐसे बोलने की अनुमति नहीं है।”

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CJI चंद्रचूड़ ने रिव्यू पिटीश खारिज की 

सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सही हो या गलत, सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आ चुका है और रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब आपको क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करनी होगी, लेकिन आप ऐसा नहीं करना चाहते।

CJI ने यह भी बताया कि जब किसी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है, तो मामले का फैसला सुनाने वाले हाईकोर्ट के जज को पार्टी नहीं बनाया जाता।

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