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Chhattisgarh High Court’s decision 21 साल पुराने जग्गी हत्याकांड के 27 दोषियों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, जिला कोर्ट की उम्रकैद की सजा बरकरार

Chhattisgarh High Court’s decision

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के 27 दोषियों की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। सभी आरोपियों को जिला कोर्ट ने सजा सुनाई थी जिसे दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने अपील खारिज करते हुए दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।

रामावतार जग्गी देश के बड़े नेता और कारोबारी व्यक्ति थे।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की बेंच 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की याचिका पर सुनवाई थी और फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया था। उम्रकैद की सजा पाने वालों दोषियों में 2 तत्कालीन CSP और एक तत्कालीन थाना प्रभारी और याहया ढेबर व शूटर चिमन सिंह शामिल हैं।

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21 साल पहले हुई थी हत्या
गौरतलब है कि 4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 आरोपी थे। इनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे।

 

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इन्हें मिली सजा

जग्गी हत्याकांड में दोषी अमरीक सिंह गिल, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, , राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील की गई थी।

कौन थे रामवतार जग्गी

रामावतार जग्गी देश के बड़े नेता और कारोबारी व्यक्ति थे। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। विद्याचरण शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर NCP में जा मिले उनका साथ जग्गी ने भी दिया था। बाद में विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बनाया था।

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