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Monday, June 16, 2025

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Chhattisgarh Congress Celebrates Traditional Meal : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मना रही ‘बोरे-बासी दिवस’, सांस्कृतिक अस्मिता और श्रमिकों के सम्मान का प्रतीक, सरकार खामोश

Chhattisgarh Congress Celebrates Traditional Meal

रायपुर। 1 मई, मजदूर दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ‘बोरे-बासी दिवस’ मना रही है। पार्टी ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की है कि वे पारंपरिक छत्तीसगढ़ी भोजन बोरे-बासी खाएं और उसकी तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

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‘बोरे-बासी’ यानी रात के बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर सुबह खाने की परंपरा, छत्तीसगढ़ के मेहनतकश वर्ग की जीवनशैली का हिस्सा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस इसे सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि मेहनतकशों की अस्मिता और संस्कृति का प्रतीक मानती है।

कैसे शुरू हुई यह परंपरा?

‘बोरे-बासी दिवस’ की शुरुआत 2020 के बाद हुई थी जब भूपेश बघेल की सरकार ने इसे मजदूर दिवस के अवसर पर मनाना शुरू किया। इस दिन राज्य भर में न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ता, बल्कि मंत्री, विधायक, कलेक्टर, और यहां तक कि IAS और IPS अधिकारी भी बोरे-बासी खाते नजर आए थे। यह एक सोशल मीडिया अभियान बन गया, जिससे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को बल मिला।

Chhattisgarh Congress Celebrates Traditional Meal

इस बार कांग्रेस आगे, सरकार चुप

जहां एक ओर कांग्रेस ने इस साल भी ‘बोरे-बासी दिवस’ को सक्रिय रूप से मनाया, वहीं वर्तमान भाजपा सरकार की ओर से इस आयोजन को लेकर कोई आधिकारिक बयान, कार्यक्रम या पहल नजर नहीं आई।

पिछले वर्ष जब भाजपा की सरकार बनी थी, तब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बोरे-बासी खाकर मजदूर दिवस की शुभकामनाएं दी थीं और रायपुर में श्रमिकों को सम्मानित किया था। मगर इस बार मुख्यमंत्री कार्यालय से न तो बोरे-बासी दिवस पर कोई प्रतिक्रिया आई, न ही कोई आयोजन सामने आया।

Chhattisgarh Congress Celebrates Traditional Meal

कांग्रेस की कोशिश: संस्कृति से जुड़ाव

कांग्रेस नेता इस दिवस को राज्य की संस्कृति और जमीन से जुड़ने का जरिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि बोरे-बासी केवल भोजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी, मेहनत और सादगी की पहचान है। अब यह आयोजन सरकार से आगे बढ़कर आम जनता और समाज के बीच अपनी जगह बना चुका है।

‘बोरे-बासी दिवस’ अब केवल एक राजनीतिक अभियान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ की मेहनतकश जनता को सम्मान देने और उनकी जीवनशैली को गर्व से स्वीकारने की एक पहल है।

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