Chawal Utsav Stampede
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में रविवार को ‘चावल उत्सव’ के तहत एक साथ तीन महीने का राशन लेने पहुंचे सैकड़ों उपभोक्ताओं के बीच शासकीय उचित मूल्य की दुकान के बाहर अफरातफरी और भगदड़ मच गई।
बता दें कि यह सब उस वक्त हुआ जब लंबी प्रतीक्षा के बावजूद दुकान का मुख्य दरवाजा नहीं खुला और राशन पाने की उम्मीद में खड़े उपभोक्ताओं का सब्र जवाब दे गया। गुस्साई भीड़ ने दरवाजे को धक्का देकर तोड़ डाला और अंदर घुसते ही पहले राशन पाने की होड़ में भागना शुरू कर दिया, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। इस अफरातफरी में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे गिरकर घायल हो गए।
Chawal Utsav Stampede
तकनीकी खामी बनी बड़ी बाधा
राशन वितरण में ओटीपी (OTP) न आना, फिंगर प्रिंट का मिलान न होना और बार-बार सर्वर डाउन जैसी तकनीकी समस्याएं लगातार सामने आ रही थीं। राशन दुकानदारों के पास पूरा सिस्टम होते हुए भी तकनीकी कारणों से प्रतिदिन औसतन केवल 20-22 लोगों को ही राशन मिल पा रहा है।
‘चावल उत्सव’ बना ‘चिंता उत्सव’
राज्य सरकार ने वर्षा प्रभावित जिलों में राहत देने के उद्देश्य से ‘चावल उत्सव’ के तहत 81 लाख से अधिक परिवारों को जून, जुलाई और अगस्त का राशन एकमुश्त देने की योजना बनाई है। इसके लिए 13,928 राशन दुकानों में भंडारण और आवंटन भी पूरा कर दिया गया, लेकिन तकनीकी अवरोधों ने इस पहल को पलीता लगा दिया है।
Chawal Utsav Stampede
भीड़ नियंत्रण में प्रशासन फेल
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, यह स्थिति पिछले कई दिनों से बन रही थी। लोग रोज़ सुबह से लाइन में लगते थे, लेकिन तकनीकी बाधाओं के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ता था। रविवार को जब एक साथ तीन महीने का राशन बांटा जाना था, तो उपभोक्ताओं का धैर्य टूट गया और वे गेट तोड़कर अंदर घुस गए। पुलिस और दुकान कर्मियों के हाथ-पांव फूल गए।
न सिर्फ सिस्टम स्लो, व्यवस्थाएं भी लचर
वहीं लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन और खाद्य विभाग द्वारा पहले से कोई समुचित प्रबंध नहीं किया गया, न भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त स्टाफ था और न ही वैकल्पिक वितरण की व्यवस्था।
गरियाबंद की यह भगदड़ कोई अचानक बनी स्थिति नहीं थी, बल्कि लंबे समय से उपेक्षित तकनीकी खामियों और प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। सरकार की मंशा अच्छी हो सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत में बदलाव के लिए तकनीकी संसाधनों की मजबूती और वितरण व्यवस्था की पारदर्शिता जरूरी है।